केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि LGBTQIA+ समुदाय के लोगों के लिए संयुक्त बैंक खाते खोलने या अपने समलैंगिक साथी को खाते के लिए नामिती के रूप में नामित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने 28 अगस्त को एक परामर्श जारी किया था।
परामर्श में कहा गया था कि यह स्पष्टीकरण सुप्रियो @ सुप्रिया चक्रवर्ती एवं अन्य बनाम भारत संघ या समलैंगिक विवाह मामले में सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ के फैसले के अनुरूप है।
समलैंगिक विवाह को 3:2 बहुमत से वैध बनाने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस दलील पर गौर किया था कि केंद्र सरकार समलैंगिक जोड़ों के अधिकारों के दायरे को परिभाषित करने और स्पष्ट करने के लिए कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करेगी।
कोर्ट ने समिति को समलैंगिक रिश्तों में साझेदारों को संयुक्त बैंक खाते की सुविधा देने पर विचार करने का निर्देश दिया था, जिसमें उनके साथी को नामिती के रूप में नामित करने का विकल्प भी शामिल हो।
वित्त मंत्रालय द्वारा जारी परामर्श में कहा गया है, "सुप्रियो @सुप्रिया चक्रवर्ती और अन्य बनाम भारत संघ (रिट याचिका सिविल संख्या 1011/2022) के मामले में माननीय सर्वोच्च न्यायालय के दिनांक 17.10.2023 के निर्णय के संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि समलैंगिक समुदाय के व्यक्तियों के लिए संयुक्त बैंक खाता खोलने और खाताधारक की मृत्यु की स्थिति में खाते में शेष राशि प्राप्त करने के लिए समलैंगिक संबंध में किसी व्यक्ति को नामित करने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।"
भारतीय रिजर्व बैंक ने भी 21 अगस्त को सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को इस संबंध में स्पष्टीकरण जारी किया।
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LGBTQIA+ couples can open joint bank accounts; name partner as nominee: Central government