केन्द्रीय जांच ब्यूरो की विशेष अदालत ने मंगलवार को सिस्टर अभया हत्याकांड में फादर थॉमस कुट्टूर और सिस्टर सेफी को दोषी करार दिया।
तिरूवनंतपुरम में विशेष सीबीआई न्यायाधीश के सनील कुमार ने आज यह फैसला सुनाया।
अदालत दोनों दोषियों को सजा कल, 23 दिसंबर, 2020 सुनायेगी।
28 साल से भी पहले हुये इस हत्याकांड में केरल के कोट्टायम जिले के एक कांवेंट में सिस्टर अभया मृत मिलीं थीं।
सिस्टर अभया का शव 27 मार्च, 1992 को कांवेंट के भीतर एक कुंअें में मिला था।
इस मामले में अनेक उतार चढ़ाव आये और अंतत: यह अदालत में सुनवाई के लिये पहुंचा था।
राज्य पुलिस ने 1993 में सिस्टर अभया की मौत् को आत्महत्या बताते हुये इसे बंद करने के लिये रिपोर्ट दाखिल की थी। इसके बाद एक्टिविस्ट जॉमन पुथेनपुराकल इस मामले को अदालत ले गये जहां से यह केन्द्रीय जांच ब्यूरो को जांच के लिये सौंपा गया।
हालांकि, 1996 में सीबीआई ने अदालत में अपनी रिर्पोट में कहा कि वह इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी है कि क्या यह हत्या थी या आत्महत्या। हालांकि,अदालत ने इसे अस्वीकारकरके इसमें फिर से जांच का आदेश दिया।
एक साल बाद सीबीआई इस नतीजे पर पहुंची कि निश्चित ही यह हत्या का मामला है लेकिन इसमें मुकदमा चलाने के साक्ष्य नहीं हे।
अदालत ने एक बार फिर इसे अस्वीकार कर दिया और सीबीआई ने मामले की तीसरी बार जांच की। करीब दस साल बाद, सीबीआई ने इस मामले में पहली गिरफ्तारी की। जांच ब्यूरो ने 2008 में फादर थॉमस कोट्टूर, फादर जोस पूथु्रकायिल और सिस्टर सेफी को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया।
इन सभी को केरल उच्च न्यायालय ने 2009 में जमानत पर रिहा कर दिया था।
इस साल उच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति वीजी अरूण की एकल पीठ ने इस तथ्य का जिक्र किया कि इस मुकदमे की सुनवाई पूरी होने में काफी लंबा वक्त लग गया है। न्यायालय ने इस मुकदमे की रोजाना सुनवाई करके न्याय चक्र को रोकने का आदेश दिया था।
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