इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने हाल ही में एक स्कूल वैन के चालक द्वारा प्रस्तुत की गई जमानत याचिका को खारिज कर दिया, जिस पर वैन में यात्रा कर रहे छात्रों को अश्लील वीडियो दिखाने का आरोप था।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि आरोपी आवेदक को कोई उदारता देने के लिए कोई आधार नहीं मिला।
आरोपी पर भारतीय दंड संहिता की धारा 354(2), 377, 504 और यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा 7 और 8 के तहत उल्लिखित अपराधों का आरोप लगाया गया।
अदालत ने अपने आदेश को पारित करते हुए गवाहों और पीड़ितों के बयानों पर भरोसा किया। आदेश का विवरण,
“लगभग 5 साल की उम्र की पीड़िता में से एक ने अपनी मां को बताया कि आरोपी-आवेदक वैन में यात्रा कर रहे छात्रों को अश्लील वीडियो दिखाता था और जब छात्रों को आपत्ति होती थी, तो वह उन्हें लाइटर से जला देता था। वह उन्हें अनुचित तरीके से भी छूता था। ”
अन्य पीड़ित भी गवाही देने के लिए आगे आए थे कि चालक और अन्य सह-आरोपियों ने उनका यौन उत्पीड़न किया था। उसी के मद्देनजर कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी।
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