कोविड-19 लॉकडाउन के बीच इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने प्रमुख बेंच के माध्यम से 26,458 मामलों और लखनऊ बेंच के माध्यम से 7,054 मामलों का निस्तारण किया है।
न्यायालय ने 6 जून के आदेश के बाद भौतिक सुनवाई शुरू की थी। हालांकि, लखनऊ बेंच में कोविड-19 स्पाइक के मद्देनजर भौतिक सुनवाई को स्थगित कर दिया गया था।
महामारी लॉकडाउन के बीच अपने प्रतिबंधित कामकाज की अवधि के दौरान, अब यह पता चला है कि:
इलाहाबाद उच्च न्यायालय में सुनवाई के लिए 83,783 मामले सूचीबद्ध किए गए। 26,458 मामलों का फैसला किया गया, जिनमें से 2,436 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निस्तारित किए गए।
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 43,213 मामले सुनवाई के लिए गए हैं। 7,054 मामलों का फैसला किया गया, जिनमें से 4,454 वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए निस्तारित किए गए।
उच्च न्यायालय की अधीनस्थ न्यायालयों में, 42,64,119 मामलों / प्रार्थना पत्रों को सुनवाई के लिए लिया गया। 4,16,677 का फैसला किया गया था, जिसमें से 1,17,698 का निस्तारण वर्चुअल कोर्ट के माध्यम से किया गया था। अंडर-ट्रायल कैदियों से संबंधित 3,42,229 मामलों / प्रार्थना पत्रों का निस्तारण भी किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर के तत्वावधान में, हाईकोर्ट में 97 जज कार्यरत हैं जो पूरे महामारी में काम कर रहे हैं।
महामारी की अवधि के दौरान, उच्च न्यायालय द्वारा भी एहतियाती उपाय पेश किए थे:
वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुनवाई जारी। हालांकि, पक्षकारों और वकील के पास अब शारीरिक रूप से भी उपस्थित होने का विकल्प है।
महामारी की अवधि के दौरान हाई कोर्ट में मैनुअल पास के साथ प्रवेश की व्यवस्था बंद की गई है। केवल ई-पास के माध्यम से प्रवेश की अनुमति है।
यह सुनिश्चित करने के लिए गंभीर प्रयास किए जा रहे हैं कि उच्च न्यायालय परिसर में सामाजिक दूरी बनाए रखने के लिए हर संभव उपाय अपनाया जाए।
न्यायालयों में बैठने की व्यवस्था इस तरह से की गई है कि गलियारों में न्यूनतम भीड़ सुनिश्चित करते हुए उनके मामले की सुनवाई का इंतजार कर रहे वकील के लिए हर वैकल्पिक कोर्ट रूम खाली रखा जाता है।
कई फुट-संचालित सैनिटाइजर डिस्पेंसिंग मशीन, स्वचालित सैनिटाइजर डिस्पेंस और थर्मल चेक पॉइंट हैं जो इमारत में कार्यात्मक रूप मे हैं।
हाईकोर्ट परिसर के अंदर किसी भी तरह की सामूहिक भीड़ से बचने के लिए, मार्च 2020 से एडवोकेट्स के चैंबर और बार एसोसिएशन और एडवोकेट्स एसोसिएशन हॉल को बंद कर दिया गया है।
अधिवक्ताओं और कर्मचारियों के कैंटीन परिसर को भी अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है।
नए मामलों को दायर करने के लिए अलग काउंटर स्थापित किए गए हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सुनवाई के लिए न्यायालयों के सामने रखे जाने से पहले प्रत्येक रिकॉर्ड का स्वच्छताकरण सेनेटाइजेशन कैबिनेट की मदद से किया जाए।
संस्था में फेस शील्ड, मास्क, दस्ताने, सैनिटाइज़र आदि सभी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध कराए गए हैं।
कर्मचारियों की नियमित जाँच के लिए प्रयागराज और लखनऊ दोनों में अलग-अलग कोविड-19 परीक्षण शिविर लगाए गए हैं ताकि कोर्ट में नियमित रूप से कार्यरत कर्मचारियों के माध्यम से कोविड-19 प्रसार के जोखिम को कम किया जा सके।
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Allahabad HC records disposal of 33,512 cases during restricted functioning amid COVID-19