इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पूर्व न्यायाधीश अंजनी कुमार और उनकी पत्नी को अपनी शिकायतों के साथ जिलाधिकारी, प्रयागराज से संपर्क करने का निर्देश दिया। पूर्व न्यायाधीश और उनकी पत्नी को उनके बेटे ने अपने ही घर से अवैध रूप से बेदखल करने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी।
न्यायमूर्ति शशि कांत गुप्ता और पंकज भाटिया की खंडपीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश माता – पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2007 और माता – पिता और वरिष्ठ नागरिकों का भरणपोषण तथा कल्याण अधिनियम, 2014 के तहत एक उपाय कर सकते हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से उपस्थित वकील तरुण अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि अन्य संपत्तियों के अलावा, विवादित घर भी याचिकाकर्ताओं के नाम पर पंजीकृत था।
उन्होंने आगे प्रस्तुत किया कि याचिकाकर्ता का नाम नगर निगम, प्रयागराज के रिकॉर्ड में दर्ज किया गया था और उनके पुत्र को याचिकाकर्ताओं को बलपूर्वक बाहर निकालने का कोई अधिकार नहीं था।
मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं को राज्य के कानूनों के तहत दस दिनों के भीतर उचित आवेदन दायर करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट, प्रयागराज के समक्ष प्रासंगिक कागजात प्रस्तुत करने के लिए स्वतंत्रता प्रदान की।
याचिकाकर्ता के बेटे को 19 नवंबर, 2020 को जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश दिया गया है।
जिला मजिस्ट्रेट को आगे कहा गया है कि वह उक्त आवेदन / याचिका की प्राप्ति की तारीख से दो महीने के भीतर पक्षों द्वारा उठाए गए सभी मुद्दों पर विचार करते हुए एक यथोचित आदेश पारित करें।
बेंच ने कहा मामले में जिला मजिस्ट्रेट के आदेश से याचिकाकर्ताओं के व्यथित होने की स्थिति मे उनके पास उच्च न्यायालय के सामने उक्त आदेश की एक प्रति रखने के लिए स्वतंत्रता होगी
उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसने मामले के गुणों पर कोई राय व्यक्त नहीं की है और संबंधित प्राधिकारी को अपनी योग्यता के आधार पर निर्णय लेना था और पक्षकार जिला मजिस्ट्रेट के समक्ष सभी मुद्दों को उठाने के लिए स्वतंत्र थे।
मामले को आगे के आदेशों के लिए 8 फरवरी, 2021 को सूचीबद्ध किया गया है।
आदेश यहाँ पढ़ें।
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