न्यूज 18 के पत्रकार अमन चोपड़ा को राहत देते हुए, राजस्थान उच्च न्यायालय ने शनिवार को उन्हें 22 अप्रैल को राजस्थान के अलवर जिले में कथित रूप से सांप्रदायिक दंगे भड़काने के आरोप में न्यूज एंकर के खिलाफ दर्ज तीन में से दो प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) के संबंध में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया। [अमन चोपड़ा बनाम राजस्थान राज्य]।
अमन चोपड़ा के खिलाफ आरोप यह है कि उन्होंने एक टेलीविजन कार्यक्रम "देश झुकने नहीं देंगे" की एंकरिंग करते हुए टिप्पणी की, जिसे उनके ट्विटर अकाउंट पर भी पोस्ट किया गया था, जिसके परिणामस्वरूप 22 अप्रैल को अलवर में सांप्रदायिक विद्वेष और दंगे हुए।
उसके खिलाफ तीन अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
पहली प्राथमिकी बिछवाड़ा डूंगरपुर थाने में 23 अप्रैल को दर्ज की गई थी। दूसरी प्राथमिकी उसी दिन थाना सदर, बूंदी में जबकि तीसरी प्राथमिकी अप्रैल को कोतवाली, अलवर थाने में दर्ज की गई थी।
चोपड़ा ने तीन अलग-अलग प्राथमिकी के मद्देनजर गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए अदालत का रुख किया। उन्होंने तर्क दिया कि बाद की दो प्राथमिकी में जांच को आगे बढ़ने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए क्योंकि उन्हें केवल उन्हें परेशान करने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके से दर्ज किया गया था।
एकल-न्यायाधीश न्यायमूर्ति बीरेंद्र कुमार ने कहा कि चोपड़ा को बाद की दो प्राथमिकी में संरक्षित किया जाना चाहिए।
न्यायाधीश ने 7 मई को पारित अपने आदेश में कहा, "चूंकि कार्रवाई के एक ही कारण के लिए बाद की एफआईआर और उनकी जांच स्वयं टिकाऊ / अनुमेय नहीं है, सर्वोच्च न्यायालय के निर्णयों के मद्देनजर, कोई सवाल ही नहीं है कि याचिकाकर्ता को इन मामलों में गिरफ्तार होने से सुरक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है।अत: उसे अगले आदेश तक थाना कोतवाली, अलवर तथा थाना सदर बूंदी में दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तार नहीं किया जायेगा।"
उन पर राजगढ़, अलवर में कुछ मंदिरों के विध्वंस के बाद एक समाचार डिबेट शो की एंकरिंग करके दंगे भड़काने का आरोप है।
[आदेश पढ़ें]
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[Alwar Riots] Rajasthan High Court grants pre-arrest relief to News18 journalist Aman Chopra