अर्णब गोस्वामी ने अपनी जमानत याचिका में सात आधार बताये, कहा: निर्दोष हूं, हिरासत की जरूरत नहीं

बंबई उच्च न्यायालय के जमानत मामले में फैसले के मद्देनजर जमानत की अर्जी पर चार दिन के भीतर सुनवाई होगी
District Court, Raigad-Alibag, Arnab
District Court, Raigad-Alibag, Arnab

रिपब्लिक टीवी के प्रधान संपादक अर्णब गोस्वामी ने इंटीरियर डिजायनर अन्वय नाइक और उसकी मां कुमुद नाइक को आत्महत्या के लिये उकसाने के मामले में 2018 में दर्ज प्राथमिकी संख्या 59 में अलीबाग की सत्र अदालत में नियमित जमानत का आवेदन दायर किया है।

नियमित जमानत की अर्जी सोमवार को बंबई उच्च न्यायालय में अंतिरम जमानत का आवेदन अस्वीकार होने के कुछ समय पहले दायर की गयी।

इसमें आरोप लगाया गया है कि गोस्वामी को उनके घर से गिरफ्तार करते हुये बेरहमी से घसीटा गया।

इस आवेदन में कहा गया है,

‘‘पुलिस अधिकारियों ने उसके परिवार और उसके साथ निर्ममता से दुर्व्यवहार किया और शारीरिक चोट पहुंचायीं और आवेदनकर्ता को उसके परिवार के सदस्यों के समाने ही घर से घसीटते हुये बाहर लेकर और हिरासत में लिया।’’

अर्णब ने अपनी जमानत की अर्जी में निम्नलिखित सात आधार गिनाये हैं:

निर्दोष

गोस्वामी का दावा है कि वह निर्दोष हैं और उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है।

आवेदन में कहा गया है, ‘‘पेश आवेदनकर्ता को कथित अपराध में झूठा फंसाया गया है।’’

जांच पहले ही की जा चुकी है और मामला बंद करने की रिपोर्ट पेश

अर्णब ने यह बिन्दु बंबई उच्च न्यायालय में भी उठाया था।

जमानत की अपनी अर्जी में भी उन्होंने इस पहलू को प्रमुखता से उठाया है कि कथित अपराध में 2018 में जांच शुरू हुयी थी और इसे 2019 में बंद कर दिया गया था।

आवेदन में कहा गया है, ‘‘अलीबाग पुलिस स्टेशन पहले ही इसकी जांच कर चूका है और रायगढ़ के डीवाईएससपी के माध्यम से ‘ए’ रिपोर्ट दाखिल की गयी थी जिसे अलीबाग के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने स्वीकार कर लिया था।’’

गोस्वामी ने दलील दी है कि मौजूदा जांच मामला बंद करने संबंधी उपरोक्त आदेश को चुनौती दिये बगैर ही की जा रही है ओर उसे गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया है।

हिरासत की जरूरत नहीं

गोस्वामी ने जमानत की अर्जी में कहा है कि उन्हें हिरासत में लेने की जरूरत नहीं है क्योकि हिरासत रिपोर्ट में कहा गया है कि गोस्वामी से नहीं बल्कि सिर्फ तीसरे पक्ष के ठेकेदारों से कुछ दस्तावेज बरामद करने हैं।

आवेदन के अनुसार, ‘‘वैसे भी, कथित रूप से बरामद की जाने वाली सारी सामग्री दस्तावेजी है और आगे जांच के लिये मौजूदा आवेदनकर्ता की हिरासत की जरूरत नहीं है।’’

मामला नहीं बनता है

गोस्वामी का कहना है कि प्राथमिकी में लगाये गये आरोपो के अनुसार भारतीय दंड संहिता की धारा 306 (आत्महत्या के लिये उकसाने) के लिये जरूरी कोई सामग्री नहीं है और आत्महत्या की कथित घटना और गोस्वामी के खिलाफ आरोपों के बीच कोई संबंध नहीं है।

गवाहों से पहले ही पूछताछ हो चुकी है

आवेदन में कहा गया है कि मामला फिर से खोलने के बाद दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के अंतर्गत जांच एजेंसी गवाहों के बयान रिकार्ड कर चुकी है और इसलिए गोस्वामी को हिरासत में लेने की अब जरूरत नहीं है।

भुगतान नहीं करने की कोई मंशा नहीं

गोस्वामी ने दावा किया है कि उसकी कंपनी एआरजी आउटलायर मीडिया का अन्वय नाइक को भुगतान नहीं करने का कोई इरादा नहीं था। एआजी कंपनी ने काम के आदेश की शर्तो के अनुसार नाइक की कंपनी कांकार्ड को देय सारे भुगतान किये गये हैं।

आवेदन में दावा किया गया है, ‘‘हालाकि, काम में खामियों और कार्य आदेश की शर्तो के हनन के कारण तीन किस्तों का भुगतान दोनों पक्षों के बीच हुये काम के करार की शर्तो के अनुसार काम की खामियों को ठीक करने तक के लिये रोका गया था।’’

अर्णब गोस्वामी ने जमानत की अर्जी उस समय दाखिल की जब बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को यह स्पष्ट कर दिा कि अगर सत्र अदालत में कोई आवेदन दाखिल किया जाता है तो उस पर चार दिन के भीतर फैसला करना होगा।

सहयोग के लिये तैयार, भागने का खतरा नहीं

इन आधारों के अलावा, गोस्वामी ने यह भी कहा है कि वह जांच एजेन्सी के साथ सहयोग करने के लिये तैयार है और अभियोजन के किसी भी गवाह के साथ छेड़छाड़ नहीं करेंगे और मुंबई के स्थाई निवासी तथा प्रतिष्ठित पत्रकार होने की वजह से उनके फरार होने की संभावना नहीं है।

अलीबाग के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने बुधवार की देर रात अपने आदेश में गोस्वामी को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। हांलाकि, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गोस्वामी की जमानत होने तक उनसे पूछताछ करने की रायगढ़ पुलिस की इजाजत दे दी है।

बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को अर्णब गोस्वामी की अंतरिम जमानत की अर्जी अस्वीकार करते हुये उनसे कहा कि वह सत्र अदालत जायें।

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"Innocent, custody not required": Seven Grounds raised by Arnab Goswami in his bail plea

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