कर्नाटक उच्च न्यायालय ने विधायक के भतीजे को दी जमानत जिसकी फेसबुक पोस्ट से बेंगलुरू में दंगे भड़के

इन दंगों में 2 थाने और पुलिस की 57 गाड़ियों को उग्र भीड़ ने आग लगा दी थी
Bangalore Riots 2020
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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हाल ही में उस विधायक के भतीजे को जमानत दे दी जो पैंगंबर मोहम्मद साहब के बारे में फेसबुक पर आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड करने का आरोपी है जिसकी वजह से बेंगलुरू में 11 अगस्त को दंगे हुये।

न्यायमूर्ति बीए पाटिल की एकल पीठ ने कई शर्तो के साथ याचिकाकर्ता को जमानत दी। जमानत की शर्तो के अनुसार:

  • आरोपी को दो लाख रूपए का निजी मुचलका और इतनी ही राशि की दो जमानतें देनी होंगीं

  • वह अभियोजन के सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा और हर महीने संबंधित थाने में हाजिरी देगा

  • आरोपी अदालत की पूर्व अनुमति के बगैर उसकी सीमा से बाहर नहीं जायेगा

पुलकेशिनगर से विधायक आर अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे नवीन पी के खिलाफ फेसबुक पेज पर आपत्तिजनक टिप्पणियां पोस्ट करने के कारण भारतीय दंड संहिता की धारा 153ए और 295ए और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 के तहत मामला दर्ज किया गया है।

याचिकाकर्ता ने जमानत का अनुरोध करते हुये अपने आवेदन में दलील दी थी कि उसने यह पोस्ट सिर्फ फारवर्ड की थी और बाद में इसे वापस ले लिया था। उसकी यह भी दलील थी कि यह राजनीति से प्रेरित था और उसके खिलाफ झूठी शिकायत दर्ज की गयी थी।

अभियोजन ने आरोपी की जमानत का विरोध करते हुये दलील दी थी कि उसके द्वारा साझा की गयी पोस्ट ने उस इलाके में अशांति पैदा कर दी। इस दंगे में उग्र भीड़ ने दो पुलिस थानों और पुलिस की 57 गाड़ियों को आग लगा दी।

उन्होंने यह तर्क भी दिया कि आरोपी को अगर जमानत पर रिहा किया गया तो इससे उसकी जान को भी खतरा होगा। अभियोजन का कहना था कि याचिकाकर्ता आदतन अपराधी है और उसके खिलाफ सात मामले दर्ज हैं।

न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार के बाद कहा कि आरोपी के खिलाफ दर्ज मामले में अधिकतम तीन साल तक की सजा हो सकती है और इस मामले में जांच पूरी होने के बाद आरोप पत्र दाखिल किया जा चुका है।

न्यायालय ने अभियोजन की इस दलील को भी संतोषप्रद नहीं पाया कि जमानत दिये जाने पर याचिकाकर्ता की जान को खतरा हो सकता है। इस संबंध में न्यायालय ने अपने आदेश में कहा,

‘‘मेरी सुविचारित राय है कि विशेष लोक अभियोजक की यह आशंका कि अगर याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया गया तो उसकी जान को खतरा हो सकता है और यह समाज में अशांति पैदा कर सकती है, कुछ कठोर शर्ते लगाकर इससे निबटा जा सकता है।’’

न्यायालय ने कहा,

‘‘सिर्फ याचिकाकर्ता की जिंदगी को खतरा होने के आधार पर अगर जमानत की अर्जी खारिज की गयी तो यह याचिकाकर्ता के मौलिक अधिकारों को अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ सिर्फ यही आरोप है कि उसने अपने फेसबुक अकाउन्ट पर पैगंबर मोहम्मद के बारे में कुछ आपत्तिजनक टिप्पणियां पोस्ट की थी और बाद में इसे वापस ले लिया था। इन परिस्थितियों में अगर कुछ कठोर शर्तो के साथ याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा करा जाये तो यह न्याय पूर्ण होगा।’’
कर्नाटक उच्च न्यायालय

उच्च न्यायालय ने इन टिप्पणियों के साथ आरोपी को जमानत दे दी थी।

बेंगलुरू दंगों के संबंध में उच्च न्यायालय में अनेक याचिकायें दायर की गयी हैं। न्यायलय ने 11 अगस्त के दंगों के दौरान हुये अपराधों के सिलसिले में दायर याचिकाओं पर 27 अगस्त को नोटिस जारी किया था।

इसके बाद, न्यायालय ने बेंगलुरू दंगों के सिलसिले में गिरफ्तार व्यक्तियों का विवरण पुलिस नियंत्रण कक्ष के बाहर नोटिस बोर्ड पर दर्शाने के निर्देश के लिये दायर याचिका पर नोटिस जारी किया था।

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से कहा था कि वह जांच आयोग कानून के प्रावधानों के अनुसार दावा आयुक्त को अधिकार देने पर विचार करे।

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Karnataka High Court grants bail to sitting MLA's nephew whose Facebook post sparked Bangalore Riots

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