बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने अपने पहले के प्रस्ताव में संशोधन करते हुये अब लॉ कालेजों को संबंधित राज्य सरकार और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र’ प्राप्त करके वास्तविक परीक्षायें आयोजित करने और छात्रों को भी इसका विकल्प प्रदान किया है।
बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने फैसला किया है,
‘‘ऐसे छात्र जो कोविड-19 महामारी टलने तक वास्तविक परीक्षाओं में शामिल होने में असमर्थ या अनिच्छुक है और जो इसमें शामिल हुये थे लेकिन ऐसी परीक्षा उत्तीर्ण नहीं कर सके वे कानून की शिक्षा प्रदान करने वाले विश्वविद्यालयों और केन्द्रों के फिर से खुलने पर इसे दुबारा दे सकते हैं।’’
बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने यह भी निर्णय किया कि चूंकि कोविड-19 महामारी अभी जारी है और निकट भविष्य में इससे राहत की उम्मीद नही है, सभी छात्रों के बीच की और अंतिम वर्ष की परीक्षायें ऑन लाइन करायी जा सकती हैं।
बीसीआई ने स्पष्ट किया है कि अगर परीक्षा ऑन लाइन होती है ओर कोई छात्र इसमें शामिल नहीं हो सका या इसे उत्तीर्ण नहीं कर पाया तो ऐसे छात्र महामारी का खतरा टलने के बाद विश्वविद्यालय और कालेज पुन: खुलने के यथासंभव एक महीने के भीतर इस परीक्षा या संबंधित पेपर की परीक्षा फिर से देने का पात्र होगा।
बीसीआई ने यह भी कहा है कि अगले साल या समेस्टर में पदोन्नति पाने वाले छात्र, अगर ऑफ लाइन या ऑन लाइन परीक्षा नहीं दे सके तो उन्हें बगैर किसी दंड कानून की डिग्री प्रदान करने से पहले संबंधित पेपर उत्तीर्ण करने का अवसर प्रदान किया जायेगा।
बार काउन्सिल ऑफ इंडिया ने उच्चतम न्यायालय के उस आदेश के मद्देनजर यह निर्णय लिया जिसमे संबंधित राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को वास्तविक परीक्षा स्थगित करने का अनुरोध करने का अधिकार होगा।
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