बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की है जिसमे नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया यूनिवर्सिटी (एन.एल.एस.आई.यू.), बैंगलोर में 25% अधिवास आरक्षण को चुनौती दी गयी है (बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम कर्नाटक राज्य)
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने सी.एल.ए.टी. द्वारा एक समान याचिका में नोटिस जारी किए थे।
उच्च न्यायालय कर्नाटक ने एन.एल.एस.आई.यू. बैंगलोर में 25% अधिवास आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिका मे नोटिस जारी किए गए
बीसीआई ने अधिवक्ता श्रीधर प्रभु के माध्यम से दायर याचिका में कहा कि कर्नाटक राज्य ने बिना विचार विमर्श के 27 अप्रैल, 2020 को नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया (संशोधन) अधिनियम, 2020 लागू किया।
नेशनल लॉ स्कूल ऑफ इंडिया (संशोधन) अधिनियम, 2020 उन छात्रों के लिए क्षैतिज आरक्षण का प्रदान करता है जिन्होंने सी.एल.ए.टी. 2020 से पहले 10 वर्षों से कर्नाटक में अध्ययन किया है।
बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपने तर्क मे कहा कि एन.एल.एस.आई.यू. संशोधन अधिनियम एक असंवैधानिक और अवैध होने के अलावा बीसीआई के वैधानिक कर्तव्यों का उल्लंघन करता है।
आगे यह तर्क भी दिया गया कि एन.एल.एस.आई.यू. को कानूनी शिक्षा के लिए एक मॉडल राष्ट्रीय संस्थान होने की कल्पना की गई थी।
"इसका राष्ट्रीय स्वरूप अपने संविधान से स्वाभाविक है। जिस उद्देश्य के लिए एन.एल.एस.आई.यू. स्थापित किया गया था एक बार राष्ट्रीय पहलू पर समझौता कर लिया जाता है, तो वह पूरी तरह से विफल हो जाएगा।"
बी.सी.आई. ने अपने तर्क मे कहा
यह भी संकलित किया गया है कि एन॰एल॰एस॰आई॰यू॰ एक जीवित अभिव्यक्ति है और अधिवक्ता अधिनियम, 1961 के तहत बीसीआई के वैधानिक कार्यों का उल्लेख किया गया है। इसलिए बीसीआई के वैधानिक कामकाज के संबंध मे राज्य सरकार के संशोधन का हस्तक्षेप नहीं होता है।
बीसीआई यह भी दावा करता है कि प्रस्तावित क्षैतिज आरक्षण पूरी तरह से एन॰एल॰एस॰आई॰यू॰ अर्थात कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (सी॰एल॰ए॰टी॰) कि प्रवेश व्यवस्था के खिलाफ है।
चिंता इस बात पर है कि राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति श्रेणियों के छात्रों के लिए निर्धारित आरक्षण का प्रतिशत संशोधन से कैसे प्रभावित होगा।
"यह प्रणाली माननीय न्यायालय के निर्णय लोलक्ष बनाम कनवीनर से वास्तव में प्रभावित हुई है जिसमें यह माना गया था कि अकेले कर्नाटक के एससी-एसटी वर्ग के 100% आरक्षण के हकदार हैं। इस प्रकार अधिनियम, 2020 कर्नाटक एससी-एसटी छात्रों के 100% अधिकारों पर 25% अंकुश लगाकर इस माननीय न्यायालय के निर्णय को रद्द करने का एक प्रयास है।"
इन निवेदन को देखते हुए, बी.सी.आई. ने एन॰एल॰एस॰आई॰यू॰ संशोधन अधिनियम को चुनौती दी है।
बीसीआई ने बीएएलएलबी (ऑनर्स) और एलएलएम कार्यक्रमों के लिए संशोधित सीट मैट्रिक्स को रद्द करने का भी निवेदन किया है, जो कि एन॰एल॰एस॰आई॰यू॰ द्वारा 4 अगस्त की अधिसूचना मे जारी की गई थी।
न्यायमूर्ति कृष्ण दीक्षित द्वारा कल, 13 अगस्त को मामले को सुने जाने की उम्मीद है।
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