पटना उच्च न्यायालय यह सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देशों के मुद्दे पर प्रस्तुतियाँ सुनेगा कि न्यायपालिका बिना किसी डर के स्वतंत्र रूप से कार्य करने में सक्षम है।
न्याय मित्र मृगंक मौली सुनवाई की अगली तारीख पर इस संबंध में अपना पक्ष रखेंगे।
पिछले महीने झंझारपुर में अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार के कक्ष में दो पुलिसकर्मियों के जबरन प्रवेश करने के बाद शुरू किए गए एक स्वत: संज्ञान मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस राजन गुप्ता और जस्टिस मोहित कुमार शाह की खंडपीठ को इसकी सूचना दी गई थी।
इस महीने की शुरुआत में उच्च न्यायालय के समक्ष कार्यवाही के दौरान अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक द्वारा सीलबंद लिफाफे में एक और रिपोर्ट दाखिल की गई थी।
महाधिवक्ता ललित किशोर ने प्रस्तुत किया कि जांच पर एक और स्थिति रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत की जाएगी, और अदालत को आश्वासन दिया कि बाहरी स्रोतों से किसी भी हस्तक्षेप की अनुमति के बिना जांच सही तरीके से की जाएगी।
मामले की अगली सुनवाई 10 जनवरी 2022 को होगी।
सुनवाई की आखिरी तारीख को कोर्ट को बताया गया कि मामले की जांच आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) को ट्रांसफर कर दी जाएगीइससे पहले बिहार के डीजीपी ने सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी।
इससे पहले बिहार के डीजीपी ने सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थीइससे पहले बिहार के डीजीपी ने सीलबंद लिफाफे में कोर्ट को रिपोर्ट सौंपी थी।
कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए 18 नवंबर को थाना प्रभारी गोपाल कृष्ण और घोघरडीहा के पुलिस उपनिरीक्षक अभिमन्यु कुमार शर्मा के जज अविनाश कुमार के कक्ष में जबरन घुसकर उनके साथ गाली-गलौज और मारपीट करने के बाद इस मामले की शुरुआत की थी।
[आदेश पढ़ें]
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें