रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ पर पर चल रहे ‘बालीवुड ड्रग्स माफिया’’ की खबरों पर पलटवार करते हुये 38 निर्माताओं ने अब दिल्ली उच्च न्यायालय में वाद दायर करके फिल्म उद्योग के खिलाफ ‘गैर ज़िम्मेदाराना, अपमान जनक और मानहानिकारक टिप्पणियों’ पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया है।
यह सूट रिपब्लिक के अर्नब गोस्वामी और प्रदीप भंडारी और टाइम्स नाउ के राहुल शिवशंकर और नविका कुमार को बॉलीवुड हस्तियों के मीडिया परीक्षणों का संचालन करने और बॉलीवुड से जुड़े व्यक्तियों की निजता के अधिकार के साथ हस्तक्षेप करने के लिए पेश करता है।
इस वाद में रिपब्लिक के अर्णब गोस्वामी और प्रदीप भंडारी तथा टाइम्स नाउ के राहुल शिवशंकरऔर नाविका कुमार के नामों का उल्लेख करते हुये कहा गया है कि वे बालीवुड की हस्तियों के खिलाफ मीडिया ट्रयाल चल रही हैं और बालीवुड से जुड़े व्यक्तियों के निजता के अधिकार में हस्तक्षेप कर रही हैं।
इन निर्माताओं ने इन संवाददाताओं द्वारा सुशांत सिंह राजपूत की मौत की घटना के बाद अपनी खबरों में फिल्म जगत में तथाकथित ड्रग कार्टल सक्रिय होने जैसे शब्दों के इस्तेमाल पर आपत्ति व्यक्त की है। इन शब्दों में ‘डर्ट’, ‘फिल्थ’, ‘स्कैम’, ‘ड्रगीज’ और ‘यह बालीवुड है जहां गंदगी की सफाई करने की जरूरत है’, ‘ऑल द परफ्यूम्स ऑफ अरबिया कैननॉट टेक अवे द स्टेन्च एंड द स्टिंक ऑफ दिस फिल्थ एंड स्कैम आफ द अंडरबेली बालीवुड’ , ‘दिस इज द डर्टिएस्ट इंडस्ट्री इनद कंट्री’ और ‘कोकीन एंड एलएसडी ड्रेंच्ड बालीवुड’ जैसी उक्तियां शामिल हैं।
‘‘प्रतिवादियों द्वारा किये जा रहे कीचड़ उछालने वाले प्रचार से बालीवुड से जुड़े व्यक्तियों की आजीविका बुरी तरह प्रभावित हो रही है। यह कोविड-19 महामारी, जिससे बहुत अधिक राजस्व और काम के अवसरों का नुकसान हो चुका है, के अतिरिक्त है। बालीवुड के सदस्यों की निजता में हस्तक्षेप किया जा रहा है और समूचे बालीवुड को अपराधी, नशीली दवाओं की संस्कृति में डूबी और बालीवुड का हिस्सा होने के कारण जनता की कल्पना में उसे आपराधिक गतिविधियों के पर्यायवाची के रूप में पेश कर उनकी प्रतिष्ठा को अपूर्णीय क्षति पहुंचाई जा रही है।’’
इसमें यह भी इंगित किया गया है कि इन संवाददाताओं को पहले भी दंडित और प्रताड़ित किया जा चुका है और अदालतों ने गैर जिम्मेदाराना खबरों और मानहानिकारक सामग्री के लिये उनके खिलाफ आदेश भी पारित किये हैं। इसमें यह भी दावा किया गया है कि उन्हें पहले भी गलत खबरें प्रसारित करने के लिये दोषी ठहराया जा चुका है।
यही नहीं, वाद में यह भी आरोप लगाया गया है कि ये न्यूज चैनल ‘खुल्लमखुल्ला’ केबल टेलीविजन नेटवर्कस (नियमन) कानून, 1995 की धारा 3 के अंतर्गत बनायी गयी कार्यक्रम संहिता और केबल टेलीविजन नेटवर्क नियमावली, 1994 के नियम छह का उल्लंघन कर रहे हैं।
वाद में कहा गया है, ‘‘ये प्रतिवादी समानांतर निजी जांच कर रहे हैं और उनके दावे के अनुसार उन्हें मिले सबूतों के आधार पर बालीवुड से जुड़े व्यक्तियों को दोषी करार देने के लिये ‘अदालत’ की तरह काम कर रहे हैं। वे अपराध न्याय व्यवस्था का मखौल बनाने का प्रयास कर रहे हैं।’’
इन निर्माताओं ने स्पष्ट किया है कि वे सुशांत सिंह राजपूत मामले की जांच से संबंधित खबरों पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का अनुरोध नहीं कर रहे हैं। उन्होंने सिर्फ गोस्वामी, शिवशंकर एंड कंपनी के खिलाफ मौजूदा कानूनों का उल्लंघन करने वाली प्रकाशन सामग्री और खबरें चलाने पर स्थाई रोक लगाने का अनुरोध किया है।
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