कोविड-19 के दौरान बीएमसी द्वारा काम से अनुपस्थित दिव्यांग कर्मचारियों को आर्थिक लाभ से वंचित करना गैरकानूनी: बंबई हाईकोर्ट

दिव्यांग कर्मचारियों को आर्थिक लाभ से वंचित करने को गैरकानूनी करार देते हुये न्यायालय ने कहा, ‘‘निगम लाभ अर्जित करने वाला निजी नियोक्ता नहीं’’
Brihanmumbai Municipal Corporation (BMC)
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बंबई उच्च न्यायालय ने बुधवार को बृहन्नमुंबई नगर निगम को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि कोविड-19 महामारी के दौरान ड्यूटी पर नहीं आने वाले उसके किसी भी शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारी को वेतन लाभ से वंचित नहीं किया जाये जिसे अन्यथा वे पाने के हकदार होंगे।

न्यायालय ने शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारियों के आर्थिक लाभ पिछली तारीख से रोकने की बीएमसी की कार्रवाई को गैरकानूनी करार दिया।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ ने बीएमसी को शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारियों को देय आर्थिक राशि की गणना करके दो बराबर राशि की किस्तों में भुगतान करने का निर्देश दिया।

न्यायालय ने कहा कि पहली किस्त का भुगतान दीवाली से पहले और दूसरी किस्त का भुगतान इसके बाद 45 दिन के भीतर किया जाये।

न्यायालय ने यह आदेश नेशनल एसोसिएशन ऑफ ब्लाइंड की याचिका पर दिया। इस याचिका में बीएमसी के उस परिपत्र को चुनौती दी गयी थी जिसमे काम से अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों को पिछली तारीख से आर्थिक लाभ देने से वंचित किया गया था। एसोसिएशन का तर्क था कि बीएमसी का यह निर्णय मनमाना है और इसने ऐसे कमचारियों को संकट में डाल दिया है।

न्यायालय ने 26 सितंबर को इस मामले की सुनवाई पूरी करने से पहले एसोसिएशन की ओर से अधिवक्ता उदय वरूणजिकर और बीएमसी की ओर से अधिवक्ता एवी बुखारी की दलीलों को सुना था।

अंतत: न्यायालय ने कहा कि बीएमसी को केन्द्र और राज्य सरकार के परिपत्रों का पालन करना चाहिए था जिनमे लॉकडाउन के दौरान शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारियों को अपने अपने कार्यस्थलों पर आने से छूट प्रदान की गयी थी। ये परिपत्र लॉकडाउन के दौरान शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारियों के काम पर जाने में होने वाली असुविधाओं को ध्यान में रखते हुये ही जारी किये गये थे।

उच्च न्यायालय ने कहा,

‘‘निगम को ऐसी स्थिति पैदा करने से बचना चाहिए था जिसमें इस अकल्पनीय कठिन समय में शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारी, अगर उनके पास अर्जित छुट्टियां नहीं हैं, वेतन के बगैर बहुत खराब स्थिति में नहीं पड़ें।’’
बंबई उच्च न्यायालय

‘‘निगम का सृजन कानून के माध्यम से जनता के हितों के लिये विर्निष्ट कर्तव्यों के निर्वहन के लिये किया गया है और न कि यह एक निजी नियोक्ता है जो लाभ अर्जित करने के इरादे से काम कर रहा है।’’

न्यायालय ने कहा,

‘‘अपने कानूनी दायित्वों का निर्वहन करते समय बीएमसी को यह सुनिश्चित करना है कि उसके शारीरिक रूप से दिव्यांग कर्मचारियों को दिव्यांगजन अधिकार कानून के तहत उनकी जरूरतों के अनुरूप अवसर और सुविधायें मिलें।’’

न्यायालय ने अपने फैसले में इस तथ्य का भी जिक्र किया कि अगर बीएमसी वित्तीय लाभ देने की इच्छुक नहीं थी तो उसे दिव्यांग कर्मचारियों को उनके कार्यस्थलों तक असुविधारहित आवागमन की विशेष व्यस्था करनी चाहिए थी।

‘‘उन्हें (दिव्यांग कर्मचारियों) सौंपे गये काम करने के लिये मदद की नहीं बल्कि ऐसा काम करने की तैयारी के लिये सुविधाओं की आवश्कयता है।’’

बीएमसी ने इस फैसले के अमल पर रोक लगाने का अनुरोध किया जिसे न्यायालय ने विचार के बाद अस्वीकार कर दिया।

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BMC's denial of monetary benefits to physically disabled employees who were absent amid COVID-19 pandemic illegal: Bombay High Court

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