बंबई उच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद सुधांशु त्रिवेदी के खिलाफ छत्रपति शिवाजी महाराज, महात्मा फुले, उनकी पत्नी सावित्रीबाई और 'मराठी माणूस' के बारे में बयान देने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। [रामा अरविंद कतरनवारे बनाम महाराष्ट्र राज्य व अन्य]
जस्टिस सुनील शुकरे और अभय वाघवासे की खंडपीठ ने कहा कि बयान 'इतिहास के विश्लेषण' की प्रकृति के थे और उनका इरादा इतिहास के बारे में 'समाज को प्रबुद्ध' करना था।
कोर्ट ने अपने 4 पेज के आदेश में कहा, "संदर्भित बयान हमें बताएंगे कि वे इतिहास के विश्लेषण और इतिहास से सीखे जाने वाले सबक की प्रकृति के हैं। ये कथन मुख्य रूप से उन आंकड़ों के बारे में वक्ता की धारणा और राय को दर्शाते हैं, जो दर्शकों को, जिनके लिए वे व्यक्त किए गए हैं, सोचने और समाज के लिए अच्छा है, इस तरह से कार्य करने के लिए राजी करने के इरादे से। बयानों के पीछे की मंशा वक्ता के अनुसार समाज की बेहतरी के लिए ज्ञानवर्धन की प्रतीत होती है।"
इसे देखते हुए, यह निष्कर्ष निकाला गया कि बयान प्रथम दृष्टया किसी भी आपराधिक कानून के तहत दंडनीय अपराध नहीं बनता है।
न्यायालय ने आयोजित किया, "इसलिए, इन बयानों को किसी भी महान व्यक्ति के लिए अपमानजनक नहीं माना जा सकता है, सामान्य रूप से समाज के सदस्यों और विशेष रूप से अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के सदस्यों द्वारा उच्च सम्मान में रखा जाता है।"
पीठ ने अनुसूचित जाति समुदाय के एक सदस्य राणा कतरनवरे द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें दावा किया गया था कि कोश्यारी और त्रिवेदी के बयान उन ऐतिहासिक शख्सियतों के प्रति अपमानजनक थे, जिन्हें समाज में उच्च सम्मान दिया जाता था।
याचिकाकर्ता ने मुंबई पुलिस कमिश्नर से भी शिकायत की थी।
याचिका के जरिए कतरनवरे ने कोश्यारी और त्रिवेदी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है.
यह तर्क दिया गया था कि चूंकि दोनों "अत्यधिक राजनीतिक" व्यक्ति थे, केवल एक संवैधानिक अदालत ही अपराध के पंजीकरण के लिए निर्देश जारी कर सकती है।
न्यायालय ने, हालांकि, याचिकाकर्ता द्वारा कथित रूप से किसी भी अपराध का प्रथम दृष्टया गठन नहीं देखा और इसलिए संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करना उचित नहीं समझा।
तदनुसार, इसने याचिका को खारिज कर दिया।
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