बॉम्बे हाईकोर्ट ने आज एक राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) के एक अभ्यर्थी द्वारा दायर एक याचिका में नोटिस जारी किये, जिसमे उसके द्वारा परीक्षा में शून्य स्कोर प्राप्त करने के बाद उसकी ओएमआर शीट के मैनुअल मूल्यांकन के लिए निर्देश मांग की गयी थी।
हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ के जस्टिस एएस चंदुरकर और एनबी सूर्यवंशी ने नेशनल टेस्टिंग एजेंसी और केंद्रीय स्वास्थ्य और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को नोटिस जारी किये।
एडवोकेट अश्विन देशपांडे के माध्यम से छात्र ने कोर्ट से अधिकारियों को अपने NEET OMR शीट का प्रस्तुतीकरण करने और इसे मैन्युअल रूप से मूल्यांकन करने के लिए निर्देशित करने का आग्रह किया है। उसका विवाद एक आशंका से उपजा है कि ओएमआर शीट के दोषपूर्ण ऑनलाइन जांच से उसे 720 में से 0 अंक दिए हैं।
सर्वोच्च न्यायालय के फैसले रण विजय सिंह और अन्य बनाम उत्तर प्रदेश राज्य का उल्लेख करते हुए, उच्च न्यायालय ने कहा कि वह इस संबंध में कानून के प्रति सचेत था, और इसलिए प्रतिवादियों से जवाब मांगा गया था।
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता का उत्कृष्ट शैक्षणिक रिकॉर्ड है, जिसने एसएससी परीक्षा में 93.4% और एचएससी परीक्षा में 81.85% अंक प्राप्त किए हैं।
NEET, NTA के नतीजों से पहले अभ्यर्थियों द्वारा प्रस्तुत ओएमआर शीट अपलोड की जावे ताकि उन्हें अपनी ओएमआर शीट के उन्नयन पर एक अभ्यावेदन करने का अवसर दिया जाए। उन्हें किसी भी संदेह के मामले में उत्तर कुंजी को चुनौती देने का अवसर भी दिया जाये।
यह विकल्प दिया गया था क्योंकि NEET परीक्षा के लिए कोई पुन: जाँच या पुनर्मूल्यांकन प्रणाली नहीं है।
याचिकाकर्ता का तर्क है कि उसकी ओएमआर शीट अपलोड नहीं की गई थी। भले ही उसने NTA को एक अभ्यावेदन भेजा, फिर भी उन्हें उनसे कोई जवाब नहीं मिला। दलील में कहा गया है,
याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की ओएमआर शीट "ठीक से स्कैन नहीं की गई है या सिस्टम में कुछ समस्या हो सकती है" या इससे इंकार नहीं किया जा सकता है कि उसकी ओएमआर शीट किसी अन्य अभ्यर्थी के साथ मिल गई।
याचिकाकर्ता ने अदालत से आग्रह किया है कि तत्काल याचिका में निर्णय होने तक प्रतिवादियों को प्रवेश प्रक्रिया मे आगे बढ़ने से रोकने का निर्देश दिया जाए।
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