सुप्रीम कोर्ट कल टाटा समूह कंपनी टाटा संस लिमिटेड और शापूरजी पलोनजी ग्रुप्स साइरस मिस्त्री के विवाद में अपना फैसला सुनाएगा
सीजेआई एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यम की खंडपीठ द्वारा सुबह 11 बजे फैसला सुनाया जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट ने 17 दिसंबर, 2020 को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
टाटा संस और मिस्त्री दोनों ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) के 18 दिसंबर, 2019 के आदेश को चुनौती दी है, जिसमें टाटा संस लिमिटेड के अध्यक्ष के रूप में साइरस मिस्त्री की बहाली का आदेश दिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी, 2020 को एनसीएलएटी के आदेश पर रोक लगा दी थी।
NCLAT ने अपने दिसंबर 2019 के फैसले में कहा था कि 24 अक्टूबर, 2016 को आयोजित टाटा संस की बोर्ड बैठक की कार्यवाही मे चेयरपर्सन के रूप में साइरस मिस्त्री को हटाना गैरकानूनी था।
यह भी निर्देश दिया था कि रतन टाटा को पहले से कोई निर्णय नहीं लेना चाहिए, जिसमें टाटा संस के निदेशक मंडल के बहुमत के फैसले या वार्षिक आम बैठक में बहुमत की आवश्यकता होती है।
मिस्त्री ने दिसंबर 2012 में टाटा संस के अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला और 24 अक्टूबर, 2016 को कंपनी के निदेशक मंडल के बहुमत से पद से हटा दिया गया। इसके बाद, 6 फरवरी, 2017 को बुलाई गई एक असाधारण आम बैठक में, शेयरधारकों ने मिस्त्री को टाटा संस के बोर्ड से हटाने के लिए मतदान किया। एन चंद्रशेखरन ने तब टाटा संस के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाला था।
दो शापूरजी पल्लोनजी फर्म, जो टाटा संस में शेयरधारक हैं, ने मिस्त्री को हटाने और अल्पसंख्यक शेयरधारकों के उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल का रुख किया।
जुलाई 2018 में, एनसीएलटी ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसके खिलाफ एनसीएलएटी के समक्ष पल्लोनजी फर्मों द्वारा अपील दायर की गई थी।
अपने क्रॉस अपील में शापूरजी पलोनजी फर्मों ने कहा कि NCLAT मिस्त्री को कुछ महत्वपूर्ण राहत देने में विफल रहा
यह प्रार्थना की गई कि मिस्त्री फर्मों को टाटा संस के निदेशक मंडल द्वारा गठित सभी समितियों में प्रतिनिधित्व का हकदार होना चाहिए।
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[BREAKING] Supreme Court to pronounce Judgment tomorrow in Tata Sons v. Cyrus Mistry dispute