कलकत्ता उच्च न्यायायल ने एक जिलाधिकारी को नागरिकों की सेवा के आधिकारिक कर्तव्य की याद दिलाते हुये राजनीति से प्रेरित निरंकुशता और असंगत व्यवहार से दूर रहने की नसीहत दी
न्यायालय में संबंधित जिलाधिकारी द्वारा बिना शर्त क्षमा याचना किये जाने का संज्ञान लेते हुये खंडपीठ ने उनके लिये अच्छे की कामना की और उनके खिलाफ शुरू की गयी न्यायालय की अवमानना कार्यवाही समाप्त कर दी।
न्यायालय ने पहले के एक न्यायिक आदेश के अनुरूप तथ्यों का पता लगाने के लिये मौके पर जाने और रिपोर्ट पेश करने में विफल रहने के कारण इस अधिकारी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की थी।
न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, ‘‘चूंकि श्री काद्यान की लंबी सेवा शेष है, न्यायालय उनकी कुशलक्षेम चाहता है लेकिन उन्हें याद दिलाया कि उनका यह दायित्व है कि आधिकारिक रूप से उठाया गया उनका प्रत्येक कदम नागरिकों के लिये हो और अनुचित, असंगत और निरंकुशता, विशेषकर राजनीतिक कार्यपालिका के इशारे पर, के मार्ग से परे हो।’’
न्यायमूर्ति संजीब बनर्जी और न्यायमूर्ति हिरण्यमय भट्टाचार्य की पीठ बिश्वनाथ चौध्ररी नामक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि बार काउन्सिल आफ इंडिया के मानकों का उल्लंघन करके एक अन्य शिक्षण सस्थान में लॉ कालेज स्थापित किया गया है।
उन्होंने इस परियोजना के लिये भूमि हासिल करने के लिये कूच बिहार विश्वविद्यालय द्यारा इस कालेज को संबद्ध करने की अनुमति और राज्य द्वारा अनापत्ति प्रमाण दिये जाने को चुनौती दी थी।
याचिकाकर्ता का आरोप था कि बी एड की डिग्री पाठ्यक्रम प्रदान करने वाली एक शिक्षण संस्थान उसी परिसर में पहले से है जहां इस लॉ कालेज को काम करना है, इसमे हस्तक्षेप करने वाले कुछ आवेदकों ने पिछली सुनवाई पर कहा कि उनके बच्चे इस इमारत में एक स्कूल में जाते थे।
उन्होंने कि वे आश्चर्यचकित हैं कि अब स्कूल के बाहर एक लॉ कालेज का बोर्ड लगा हुआ है।
इस तथ्य का पता लगाने के लिये कि वास्तव में इस परिसर का किस तरह से उपयोग हो रहा है, न्यायालय ने जिलाधिकारी को परिसर का दौरा कर जांच करने का आदेश दिया था। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा था कि प्रत्येक दौरे से पहले याचिकाकर्ता को इसकी सूचना देनी होगी ताकि वह जांच के दौरान वहां उपस्थित रह सके।
न्यायालय के आदेश के अनुरूप जिलाधिकारी जब मौके पर जाकर जांच करने और अपनी रिपोर्ट पेश करने में विफल रहे तो न्यायालय ने जिलाधिकारी के खिलाफ स्वत: ही अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी।
इस मामले की सोमवार को सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी ने बिना शर्त क्षमा याचना की और न्यायालय के आदेश के अनुरूप ही एक रिपोर्ट भी तैयार की।
इस अधिकारी ने पीठ के समक्ष कुछ तस्वीरें भी पेश कीं।
न्यायालय ने इस रिपोर्ट पर संतोष व्यक्त करते हुये याचिकाकर्ता को इस रिपोर्ट और फोटोग्राफ की प्रतियां सरकारी वकील से हासिल करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने इस मामले को अब 21 दिसंबर के लिये सूचीबद्ध कर दिया है।
इस मामले में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता देबाशीष कुंडू, श्रीजिब चक्रवर्ती, अमितायु कुंडू और सूर्यनील दास पेश हुये जबकि राज्य सरकार की ओर से सरकारी वकील तपन कुमार मुखर्जी पेश हुये।
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