क्या पत्राचार डिग्री वाले स्नातकों को वकील बनने से रोका जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच

तेलंगाना उच्च न्यायालय का विचार था कि चूंकि अपीलकर्ता ने पत्राचार माध्यम से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है, इसलिए उसे वकील के रूप में नामांकन की अनुमति नहीं दी जा सकती।
Lawyer, Supreme Court
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सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को इस बात की जांच करने पर सहमति व्यक्त की कि क्या किसी व्यक्ति को अधिवक्ता के रूप में नामांकन से वंचित किया जा सकता है, यदि उसने पत्राचार पाठ्यक्रम के माध्यम से स्नातक की डिग्री प्राप्त की हो [एसटीएस ग्लेडिस बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया एवं अन्य]।

यह मुद्दा तेलंगाना उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देने वाली अपील में उठा, जिसमें उच्च न्यायालय ने एक अभ्यर्थी, एसटीएस ग्लेडिस (अपीलकर्ता) की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें तेलंगाना बार काउंसिल को उसे नामांकित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

उच्च न्यायालय का विचार था कि चूंकि ग्लेडिस ने पत्राचार के माध्यम से अपनी स्नातक की डिग्री हासिल की है, इसलिए उसे वकील के रूप में नामांकित नहीं किया जा सकता है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने सोमवार को उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली ग्लेडिस द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी किया।

सर्वोच्च न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ तेलंगाना के साथ-साथ बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।

न्यायालय ने आदेश दिया, "नोटिस जारी करें, जिसका जवाब चार सप्ताह के भीतर दिया जाए। इसके अलावा, दस्ती सेवा की भी अनुमति है।"

Justice Vikram Nath and Justice PB Varale
Justice Vikram Nath and Justice PB Varale

अपीलकर्ता ने वर्ष 2012 में काकतीय विश्वविद्यालय से पत्राचार के माध्यम से कला स्नातक की डिग्री पूरी की थी।

हाईकोर्ट के समक्ष, तेलंगाना बार काउंसिल ने तर्क दिया कि चूंकि अपीलकर्ता ने पत्राचार के माध्यम से स्नातक की डिग्री प्राप्त की है, इसलिए वह नामांकन की हकदार नहीं है।

उक्त प्रस्तुतिकरण के साथ-साथ एम. नवीन कुमार बनाम तेलंगाना राज्य और कटरोथ प्रदीप राठौड़ बनाम बार काउंसिल ऑफ इंडिया में अपने पहले के निर्णयों को ध्यान में रखते हुए, हाई कोर्ट ने तेलंगाना बार काउंसिल की प्रस्तुतिकरणों से सहमति व्यक्त की और याचिका को खारिज कर दिया।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।

ग्लेडीज की ओर से अधिवक्ता गौरव कुमार, अग्रिम टंडन, नमन श्रेष्ठ और विनोद शर्मा पेश हुए।

[आदेश पढ़ें]

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