सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह उच्च न्यायालय के 50 प्रतिशत न्यायाधीशों की नियुक्ति सेवा कोटे से यानी न्यायिक सेवाओं या जिला न्यायपालिका से करने का निर्देश जारी नहीं कर सकता है।
जस्टिस बीआर गवई, विक्रम नाथ और संजय करोल की पीठ ने, हालांकि, उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया कि वे रिक्तियों से पहले सेवा कोटा न्यायाधीशों की पदोन्नति के लिए नामों की सिफारिश करने के लिए तत्काल कदम उठाएं, ताकि उनकी पदोन्नति में कोई देरी न हो।
न्यायालय ने तदनुसार उच्च न्यायालय और जिला न्यायाधीशों की सेवा शर्तों से संबंधित एक याचिका में दिल्ली न्यायिक सेवा संघ (JSAD) द्वारा दायर एक हस्तक्षेप आवेदन का निस्तारण किया।
सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी में कहा था कि जिला न्यायपालिका (सेवा कोटा) से उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के एक तिहाई होने के मानदंड को वकीलों (बार) के अभ्यास से प्राप्त किया जाना चाहिए और इसका पालन किया जाना चाहिए।
पीठ ने उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से अनुरोध किया था कि वे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम को सिफारिशें करते समय उक्त अनुपात को ध्यान में रखें।
जेएसएडी के आवेदन में एक प्रार्थना थी कि सेवा कोटे से उच्च न्यायालय के 50 प्रतिशत न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाए।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने आवेदन के अपने जवाबी हलफनामे में कहा कि जब पदोन्नति के लिए राष्ट्रीय राजधानी की जिला अदालतों से न्यायाधीशों की सिफारिश करने की बात आती है तो कोई भेदभाव नहीं होता है।
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Cannot issue directions to have 50% High Court judges from district Judiciary: Supreme Court