दिल्ली के बाद, छत्तीसगढ़ HC से आल्टन्यूज के मो. जुबेर को ट्विट के जरिये नाबालिग को कथित रूप से परेशान के मामले मे अंतरिम राहत

उच्च न्यायालय ने 5 अक्टूबर के आदेश में कहा, ‘‘यह निर्देश दिया जाता है कि याचिकाकर्ता के खिलाफ सुनवाई की अगली तारीख तक कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जायेगा।’’
Mohammed Zubair
Mohammed Zubair

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने सोमवार को अपने अंतरिम आदेश में निर्देश दिया कि आल्टन्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबेर के खिलाफ दर्ज मामले में कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। यह मामला एक नाबालिग को एक ट्विट के माध्यम से ऑनलाइन कथित रूप से परेशान करने और यंत्रणा देने के आरोप में जुबेर के खिलाफ दर्ज किया गया है।

जुबेर ने इस ट्विट को लेकर रायपुर में दर्ज इस प्राथमिकी को निरस्त कराने के अनुरोध के साथ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

इस प्राथमिकी में सूचना प्रौद्योगिक कानून, भारतीय दंड संहिता और पोक्सो कानून के प्रावधानों का जिक्र है।

न्यायमूर्ति संजय के अग्रवाल ने सोमवार को अपने आदेश में कहा,

‘‘यह निर्देश दिया जाता है कि सुनवाई की अगली तारीख तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जायेगा।’’
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय

न्यायालय इस याचिका पर अब पांच नवंबर को आगे सुनवाई करेगा।

न्यायालय ने जुबेर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोन्वाल्विज की इस दलील का संज्ञान लिया कि रायपुर में दर्ज प्राथमिकी में लगाये गये आरोप दिल्ली में उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी में लगे आरोप जैसे ही हैं। उन्होंने कहा कि अर्णब गोस्वामी प्रकरण में उच्चतम न्यायालय के फैसले के आलोच में एक ही तथ्यों के साथ इस तरह से दूसरी प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति नहीं है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इससे पहले दिल्ली में दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर नोटिस जारी करने के साथ ही जुबेर को अंतरिम संरक्षण प्रदान किया था।

गोन्साल्विज ने बहस के दौरान दलील दी कि अगर जुबेर के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी, जिसे चुनौती दी गयी है, पर गौर किया जाये तो इसमें कोई मामला नहीं बनता है।

उच्च न्यायालय ने कहा कि इसी तरह की प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा दी गयी अंतरिम राहत और यहां रिकार्ड पर उपलब्ध तथ्यों तथा अन्य सामग्री के आलोक में यह याचिकाकर्ता (जुबेर) को अंतरिम राहत देने का उपयुक्त् मामला है।

न्यायमूर्ति अग्रवाल ने इस संबंध में अपने आदेश में कहा,

‘‘इस तथ्य को ध्यान में रखते हुये कि इसी तरह के आरोप के साथ याचिकाकर्ता के खिलाफ दिल्ली में एक प्राथमिकी पहले ही दर्ज की गयी है और इस प्राथमिकी को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय में रिट याचिका लंबित है जिसमे नोटस जारी किया गया जा चुका है और दिल्ली उच्च न्यायालय पहले ही याचिकाकर्ता के पक्ष में अंतरिम राहत दे चुका है और पेश मामले में रिकार्ड पर उपलब्ध तथ्यों और सामग्री तथा याचिकाकर्ता के खिलाफ इन्हीं तथ्यों के साथ दूसरी प्राथमिकी दर्ज कराये जाने के तथ्य को ध्यान में रखते हुये मैं याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत देने के लिये इसे उपयुक्त मामला मानता हूं।’’

जुबेर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोन्साल्विज के साथ अधिवक्ता किशोर नारायण पेश हुये जबकि छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से सरकारी वकील रवि भगत पेश हुये। इस मामले में दूसरे प्रतिवादी की ओर से अधिवक्ता उमेश शर्मा पेश हुये।

जुबेर के खिलाफ यह प्राथमिकी उस वक्त दर्ज हुयी जब उन्होंने ट्विटर हैंडल @JSINGH2252 से एक ट्विटर की तस्वीर के साथ् किये गये एक अभद्र ट्विट का जवाब दिया यह कहते हुये दिया गया था,

‘‘क्या आपके दादा को यह पता है कि आप सोशल मीडिया पर लोगों को गाली देने का अंशकालिक काम करते हैं? मैं आपको अपना प्रोफाइल बदलने का सुझाव दूंगा।’’

जुबेर ने 6 अगस्त को अपने ट्विट में पोस्ट की गयी इस बच्चे की तस्वीर को धुंधला कर दिया था।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 9 सितंबर को इस मामले को आठ दिसंबर के लिये सूचीबद्ध करते हुये जुबेर को अंतरिम संरक्षण प्रदान कर दिया था।

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After Delhi HC, Chhattisgarh HC grants AltNews' Mohammed Zubair interim relief in FIR for allegedly harassing minor online via tweet

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