संघ लोक सेवा आयोग ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया है कि सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक परीक्षा 2020 कोविड-19 की वजह से स्थगित नहीं की जा सकती क्योंकि ऐसा करने से अगले साल 27 जून, 2021 को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा में भी विलंब होगा।
आयोग ने कहा है कि वह 2021 के लिये प्रारंभिक परीक्षा के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में विलंब के बगैर 2020 की परीक्षा के नतीजे घोषित करने की स्थिति में नहीं होगा।
आयोग ने यह भी कहा है कि उसे प्रारंभिक परीक्षा और ज्यादा स्थगित नहीं करने के बारे में छात्रों से अनुरोध और ई मेल मिल रहे हैं। इस तरह के सारे अनुरोध आयोग ने अपने हलफनामे के साथ संलग्न किये हैं।
आयोग ने न्यायालय को सूचित किया है कि समता के अधिकार को उसी स्थिति में बरकरार रखा जा सकता है जब 2020 की सिविल सर्विसेज प्रारंभिक परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को पहले के सालों की तरह ही चार अक्टूबर को हो रही परीक्षा में बैठने की अनुमति दी जाये।
यूपीएससी का कहना है कि 31 मई को होने वाली यह परीक्षा स्थिति का आकलन करने के बाद बार बार स्थगित की गयी और अंत में इसे चार अक्ट्रबर को कराने का निर्णय लिया गया।
हलफनामे में आयोग ने कहा है कि करीब 67,717 अभ्यर्थियों ने अपनी परीक्षा केन्द्र के बारे में जानकारी दी है।
आयोग का कहना है कि इस परीक्षा के लिये सारी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं और चार अक्टूबर को परीक्षा का आयोजन सुनिश्चित करने के लिये राजस्व से 50.39 करोड़ रूपए खर्च किये जा चुके हैं।
आयोग ने इस साल सफलतापूर्वक परीक्षायें आयोजित करने को रेखांकित करते हुये कहा है कि नेशनल डिफेन्स अकादमी और नौसेना अकादमी की परीक्षा छह सितंबर को सुचारू ढंग से सम्पन्न हुयी हैं।
हलफनामे में यह भी कहा गया है कि एनडीए की परीक्षा में शामिल होने वाले छात्र 12वीं कक्षा पास होते हैं जबकि चार अक्टूबर को होने वाली परीक्षा में शामिल होने वालों की न्यूनतम योग्यता स्नातक है। इसलिए,ऐसे छात्रों से अधिक जिम्मेदारी और सावधानी वाले आचरण की अपेक्षा की जाती है।
यूपीएससी की ओर से अधिवक्ता नरेश कौशिक ने इससे पहले न्यायमूर्ति एएम खानविलकर, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ को सूचित किया था कि प्रारंभिक परीक्षा चार अक्टूबर के आगे टालना संभव नहीं है क्योंकि यह सरकार के चार प्रमुख विभागों की सेवा के लिये परीक्षा के उद्देश्य को प्रभावित करेगा।
इस परीक्षा के लिये यूपीएससी द्वारा जारी परिवर्तित कार्यक्रम निरस्त करने का अनुरोध किया गया है। अधिवक्ता अलख आलोक श्रीवास्तव के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि कोविड-19 महामारी का असर कम होने तक दो से तीन महीने के लिये परीक्षा स्थगित करने का निर्देश दिया जाये।
इस मुख्य याचिका के अलावा केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बल में सेवारत एक अधिकारी ने भी न्यायालय में एक आवेदन दायर किया है।
आवेदन में इस अधिकारी ने अपने पुत्र, जो खुद भी सरकारी अधिकारी है, का जिक्र करते हुयेकहा है कि उसे सिविल सर्विसेज की परीक्षा की तैयारी करनी थी लेकिन कोविड-19 के अतिरिक्त् दबाव की वजह से उसकी तैयारियां बाधित हो गयीं।
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