दिल्ली की एक अदालत ने पिंकी चौधरी को गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण दिया है, जो नई दिल्ली में जंतर-मंतर मुस्लिम विरोधी नारेबाजी की घटना के मुख्य आरोपियों में से एक है।(भूपेंद्र तोमर (पिंकी चौधरी) बनाम राज्य)।
चौधरी को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 अगस्त तक अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आशुतोष कुमार ने चौधरी की गिरफ्तारी पर सोमवार तक रोक लगा दी और जब भी आवश्यक हो जांच में शामिल होने और गवाहों को प्रभावित नहीं करने या सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं करने को कहा।
चौधरी पर भारतीय दंड संहिता की धाराओं (लोक सेवक द्वारा प्रख्यापित आदेशों की अवज्ञा), 269 (लापरवाही से जीवन के लिए खतरनाक बीमारी का संक्रमण फैलने की संभावना) 270 (घातक कृत्य से जीवन के लिए खतरनाक रोग का संक्रमण फैलने की संभावना), 153A (धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 120B (आपराधिक साजिश) के तहत आरोप लगाए गए हैं।
सुनवाई के दौरान, थाना प्रभारी (एसएचओ) ने संबंधित घटना के वीडियो फुटेज की आपूर्ति करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें चौधरी की उपस्थिति और उनके द्वारा कहे गए शब्दों को दिखाया गया है।
एसएचओ ने सुनवाई की अगली तारीख तक उसकी प्रतिलेख को रिकॉर्ड में रखने का बीड़ा उठाया।
आरोपी के वकील ने प्रस्तुत किया कि उसका नाम प्रथम सूचना रिपोर्ट में नहीं था और उसने कोई सांप्रदायिक नारे नहीं लगाए या किसी अन्य समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए कोई शब्द नहीं कहा।
चौधरी को संरक्षण देते हुए अदालत ने इस बात का भी ध्यान रखा कि आयोजन के मुख्य आयोजक अश्विनी उपाध्याय को पहले ही जमानत मिल चुकी है।
आरोपी कथित तौर पर देश में औपनिवेशिक युग के कानूनों के खिलाफ भारत जोड़ो आंदोलन के तहत दिल्ली में रविवार को हुई एक रैली में शामिल थे, जहां मुस्लिम विरोधी नारे लगाए गए थे।
रैली का आयोजन भाजपा के पूर्व प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने किया था।
उपाध्याय और 5 अन्य को बाद में गिरफ्तार कर लिया गया।
उपाध्याय ने हालांकि नारेबाजी से किसी भी तरह के संबंध से इनकार करते हुए कहा कि वह दोपहर 12 बजे कार्यक्रम स्थल से निकले थे जबकि शाम पांच बजे अज्ञात बदमाशों ने नारेबाजी की।
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