दिल्ली उच्च न्यायालय ने पेटेन्ट वाद के बारे में प्रस्तावित नियमों के सिलसिले में बारके सदस्यों से सुझाव और उनकी राय मांगी है।
प्रस्तावित ‘द हाई कोर्ट ऑफ दिल्ली रूल्स गवर्निंग पेटेन्ट सूट्स 2020’ के बारे में अगर कोई टिप्पणी या सुझाव हों तो उन्हें रजिस्ट्रार जनरल के कार्यालय में jrrules.dhc@gov.in पर चार सप्ताह के भीतर भेजा जा सकता है।
इन नियमों का मसौदा न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह, न्यायमूर्ति नवीन चावला, न्यायमूर्ति संजीव नरूला और पेटेन्ट अटार्नी हरी सुबमणियम की समिति ने तैयार किया है।
समिति का गठन मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल ने किया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय पहला न्यायालय है जिसने सिर्फ पेटेन्ट मामलों के लिये नियम तैयार किये हैं। ये नियम पेटेन्ट कानून, 1970 की धार 158 के अंतर्गत तैयार किये जा रहे हैं।
पेटेन्ट वाद का मतलब किसी कार्रवाई में अतिक्रमण, जवाबी दावे, रद्द करने के लिये दावे और गैर अतिक्रमण की घोषणा आदि से होगा।
नियमों के मसौदे में अनेक तकनीकी और प्रक्रियात्मक पहलुओं का प्रावधान है जिनका पेटेन्ट के वाद के विभिन्न चरणों पर पालन करने की आवश्यकता होगी
प्रस्तावित नियमों के मुख्य बिंदु:
-मामले के प्रबंधन से संबंधित तीन सुनवाई
-स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञों से सहायता की अनुमति
-साक्ष्य रिकार्ड करने के लिये हॉट-टबिंग जैसे आधुनिक तरीको की अनुमति
-व्यावसायिक दृष्टि से संवेदनशील दस्तावेजी साक्ष्य साझा करने के लिये गोपनीयता क्लब
-साक्ष्यों की वीडियो रिकार्डिंग की अनुमति
ये नियम पेटेन्ट से संबंधित सभी वादों के निर्णय की प्रक्रिया को शासित करेंगे और दिल्ली हाई कोर्ट (ओरिजनल साइट) रूल्स,2018 के साथ किसी प्रकार की असंगत होने की स्थिति में इन्हें लागू बनाने का प्रस्ताव है।
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