दिल्ली हाईकोर्ट ने आज दिल्ली पुलिस से ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर द्वारा उनके खिलाफ ट्विटर पर एक नाबालिग लड़की को "धमकी और टॉर्चर" करने के मामले मे दर्ज एक प्रथम सूचना रिपोर्ट की चुनौती के लिए प्रस्तुत याचिका पर जवाब मांगा (मुहम्मद जुबैर बनाम राज्य)।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने निर्देश दिया कि, जुबैर के खिलाफ दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट मे कोई भी कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी।
6 अगस्त को ट्विटर पर जगदीश सिंह से अपमानजनक प्रतिक्रियाओं की एक श्रृंखला के बाद, जुबैर ने सिंह को ट्रोल होने के लिए बाहर बुलाया और उनकी प्रदर्शन तस्वीर को रीट्वीट किया जिसमें उनकी बेटी थी।
इसके बाद, सिंह ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग मे उक्त मुद्दा उठाया, जिसने कहा कि जुबैर ने सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म के जरिये एक नाबालिग लड़की को धमकाया और प्रताड़ित किया।
अंतत: उसके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गईं। जहां एक एफआईआर दिल्ली पुलिस ने दर्ज की, वहीं दूसरी एफआईआर छत्तीसगढ़ में दर्ज की गई।
वर्तमान याचिका दिल्ली पुलिस की प्रथम सूचना रिपोर्ट से संबंधित है।
जुबैर कि तरफ से उपस्थित हुए, वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंसाल्वेस ने तर्क दिया कि सिंह की प्रदर्शन तस्वीर को रिट्वीट करते हुए, ज़ुबैर ने नाबालिग लड़की की छवि को धुंधला कर दिया था और इसे कोई अपराध कि श्रेणी मे नहीं गिना जा सकता है।
प्रश्नगत ट्वीट इस प्रकार है:
“नमस्ते जगदीश सिंह, क्या आपकी प्यारी पोती को सोशल मीडिया पर लोगों को गाली देने की आपकी पार्ट टाइम नौकरी के बारे में पता है?
मेरा सुझाव है कि आप अपना प्रोफ़ाइल चित्र बदलें।"
गोंसाल्वेस ने प्रस्तुत किया कि सिंह एक "आनुक्रमिक दुर्व्यवहारी" थे जिन्होंने ट्विटर पर उदार विचारों वाले व्यक्तियों को निशाना बनाया है।
गोंसाल्वेस ने यह भी कहा कि एक ही घटना पर दो एफआईआर की अनुमति नहीं दी जा सकती।
दिल्ली पुलिस की ओर से उपस्थित हुए, स्थायी वकील राहुल मेहरा ने कहा कि जांच चल रही है और एक तीसरे व्यक्ति से संबंधित कुछ जानकारी, जिसने जुबैर के ट्वीट पर अपमानजनक टिप्पणी पोस्ट की, ट्विटर कि तरफ से लंबित है।
मेहरा ने यह भी कहा कि उनके निर्देशों के अनुसार, नाबालिग लड़की की छवि धुंधली नहीं हुई थी।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज प्रथम सूचना रिपोर्ट घटना से संबंधित पहली प्रथम सूचना रिपोर्ट थी और जिसमे सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 67 और 67ए के तहत अपराध शामिल थे।
मेहरा ने स्वीकार किया कि ऑल्ट न्यूज़, एक तथ्य-जांच पोर्टल, "इस देश के लिए एक मानव सेवा" कर रहा था।
उन्होंने फिर भी कहा कि अगर जुबैर द्वारा किसी भी तरह की अवैधता की गई है, तो कानून अपना काम करेगा।
जहां तक कई एफआईआर के मुद्दे की बात है, तो मेहरा ने कहा कि जुबैर को दूसरी एफआईआर को रद्द करने के लिए छत्तीसगढ़ की सक्षम अदालत से संपर्क करना चाहिए।
पक्षों को सुनने के बाद, अदालत ने दिल्ली पुलिस से जवाब मांगा और जुबैर को अंतरिम राहत दी।
न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि प्रथम सूचना रिपोर्ट की एक प्रति उन्हे भी प्रधान कि जाए।
इस मामले की अगली सुनवाई 8 दिसंबर को होगी।
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