दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली विश्वविद्यालय की लॉ फैकल्टी के उस फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर बार काउन्सिल ऑफ इंडिया और लॉ फैकल्टी को नोटिस जारी किये हैं जिसमे दूसरे और तीसरे वर्ष के लिये प्रोन्नत किये गये छात्रो को पहले अंतिम सेमेस्टर की परीक्षा देने के लिये कहा गया है।
इस अंतिम सेमेस्टर की विलंबित परीक्षा तीनों केन्द्र फिर से खुलने के बाद आयोजित की जायेगी।
याचिका में बार काउन्सिल ऑफ इंडिया की प्रेस विज्ञप्ति को भी चुनौती दी गयी है जिसमे लॉ कालेजों को विलंब से ही लेकिन कालेज पुन: खुलने के बाद फाइनल परीक्षा आयोजित करने के निर्देश दिये गये हैं
याचिका में कहा गया है कि अप्रैल और जून में जारी यूजीसी के दिशानिर्देशों के अनुसार इंटरमीडिएट सेमेस्टर छात्रों का मूल्यांकन उनके आंतरिक आकलन और पिछले प्रदर्शन के आधार पर किया जायेगा।
याचिका के अनुसार ऐसी स्थिति में उन सेमेस्टर की परीक्षा लेने का लॉ फैकल्टी का निर्णय, जिनके लिये छात्रों को प्रोन्नत किया जा चुका है, अनुसूचित, पक्षपातपूर्ण और छात्रों के हितों के खिलाफ है।
याचिकाकर्ताओं ने इस तथ्य को भी इंगित किया है कि पहले सेमेस्टर की परीक्षा के साथ ही वर्तमान सेमेस्टर की परीक्षा और बैकलॉग को देखते हुये छात्रों पर अनावश्क बोझ बढ़ जायेगा।
इन छात्रों ने यह भी आशंका व्यक्त की है कि कोविड महामारी की वजह से दिल्ली में कालेज हो सकता है कि जल्द नहीं खुलें और ऐसी स्थिति में छात्रों का भविष्य प्रभावित हो सकता है।
याचिकाकर्ताओं ने लॉ फैकल्टी के 215 इंटरमीडिएट सेमेस्टर छात्रों के एक स्वतंत्र सर्वे को भी याचिका में एक आधार बनाया है । इस सर्वे के अनुसार 95 प्रतिशत छात्र कालेज पुन: खुलने पर परीक्षा आयोजित करने के खिलाफ है।
इसकी बजाये, छात्रों ने वैकल्पिक तरीका अपनाते हुये आंतरिक आकलन मूल्यांकन और ऑन लाइन खुली किताब परीक्षा आयोजित करने का सुझाव दिया है।
इस मामले में अब 14 दिसंबर को आगे सुनवाई होगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता श्रेय शर्मा उपस्थित हुये।
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