दिल्ली उच्च न्यायालय ने राजधानी के 33 निजी अस्पतालों के 80 फीसदी आईसीयू बेड कोविड-19 मरीजों के लिये सुरक्षित रखने के दिल्ली सरकार के निर्देश पर रोक लगाने के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर नोटिस जारी किये। [जीएनसीटीडी बनाम एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया)]
दिल्ली सरकार ने इस आदेश पर स्पष्टीकरण का अनुरोध किया ताकि जो अस्पताल उसके निर्देशो पर अमल करना चाहते हैं वे ऐसा कर सकें लेकिन मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ ने कहा,
‘‘हम इस मामले की नौ अक्ट्रबर को सुनवाई कर रहे हैं। हम देखेंगे।’’
उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश की पीठ का मानना था कि प्रथम द्रष्ट्या में दिल्ली सरकार का यह आदेश मनमाना, अनुचित और संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन करता है। एकल न्यायाधीश ने निजी अस्पतालों में 80 फीसदी आईसीयू बेड कोविड-19 मरीजों के लिये सुरक्षित रखने के दिल्ली सरकार के आदेश पर रोक लगा दी थी।
न्यायालय ने यह आदेश एसोसिएशन ऑफ हेल्थकेयर प्रोवाइडर्स (इंडिया) की याचिका पर दिया था।
एकल न्यायाधीश ने कहा था कि इस आदेश की वजह से गंभीर रूप से बीमार गैर कोविड के मरीज आपात चिकित्सा सुविधा से वंचित हो जायेंगे।
उच्च न्यायालय में खंडपीठ के समक्ष अपनी अपील में दिल्ली सरकार ने कहा कि राजधानी में कोविड-19 के मामलों में अभूतपूर्व वृद्धि हो रही है।
अतिरिक्त सालिसीटर जनरल संजय जैन ने दलील दी,
‘‘हर दिन शतरंज खेलने जैसा हो रहा है। जब शतरंज का खेल चल रहा हो तो हमे तेजी से फैसले लेने होते हैं।’’
एएसजी जैन ने स्थिति स्पष्ट करते हुये कहा कि कोविड-19 के ‘सामान्य रूप से बीमार’ मरीज के ‘गंभीर रूप से बीमार’ में तब्दील होने का पता नहीं चलता है और इसलिए ऐसे मामलो में तत्काल चिकित्सा सुविधा जरूरी होती है।
उन्होंने कहा कि गैर कोविड मरीजों के लिये पर्याप्त संख्या में आईसीयू के बिस्तर उपलब्ध हैं और 1170 निजी अस्पताल और नर्सिंग होम में से सिर्फ 33 को ही कोविड मरीजों के लिये 80 फीसदी आईसीयू के बिस्तर सुरक्षित रखने का निर्देश दिया गया है।
जैन ने दलील दी कि एकल न्यायाधीश के समक्ष याचिका सिर्फ इस आशंका पर आधारित थी कि दिल्ली सरकार का आदेश किसी पक्ष को उसके अधिकार से वंचित नहीं करे।
दिल्ली सरकार को कोविड और गैर कोविड मरीजों के लिये आईसीयू बिस्तरों के आंकड़े लेकर आने के लिये कहने के साथ ही न्यायालय ने एसोसिएशन को इस अपील पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने दिल्ली सरकार की अपील पर कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया।
इस मामले में अब 9 अक्टूबर को सुनवाई होगी।
अतिरिक्त सालिसीटर जनरल संजय जैन के साथ अतिरिक्त सरकारी वकील संजय घोस इस मामले में उपस्थित हुये।
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