दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली दंगों से संबंधित एक मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिये इसे उत्तर पूर्वी दिल्ली से बाहर स्थानांतरित करने के लिये दायर याचिका पर नोटिस जारी किया है।
इस मामले में आरोपी याचिकाकर्ता ने अनुरोध किया है कि इस मामले की जांच किसी अन्य जिले को सौपने या किसी स्वतंत्र जांच एजेन्सी से कराने का अनुरोध किया है।
याचिका में यह अनुरोध भी किया गया है कि इस मामले की जांच उच्च न्यायालय की निगरानी में फिर से करने का निर्देश दिया जाये।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल पीठ ने इस याचिका पर दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया।
याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता को 24 फरवरी को दवा की एक दुकान से उठाया गया था और जब निचली अदालत मे उसकी गैरकानूनी हिरासत को लेकर आवेदन दायर हुआ तब पुलिस ने 28 फरवरी को उसकी गिरफ्तारी दिखाई
याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि दवा की दुकान के मालिक ने हलफनामा दिया था जिसमे कहा गया था कि याचिकाकर्ता उक्त तारीख को उसके साथ दुकान पर ही था और उसने दंगो में हिस्सा नहीं लिया था लेकिन जांच एजेन्सी ने इस साक्ष्य को रिकार्ड पर नहीं लिया।
याचिका में यह भी दावा किया गया है कि 28 और 29 फरवरी की दो मेडिकल रिपोर्ट में दिखाया गया है कि जब याचिकाकर्ता जेल में था तो उसे पीठ तथा शरीर के दूसरे अंगों पर चोट पहुंचीं।
याचिका में न्यायालय से अनुरोध किया गया है कि जांच एजेन्सी को मेडिकल स्टोर की सीसीटीवी की फुटेज पेश करने और उसे संरक्षित करने का निर्देश दिया जाये। याचिका में कहा गया है कि संबंधित वक्त पर आरोपियों व्यक्तियों का थाने का कॉल रिकार्ड देने से भी इंकार किया गया।
याचिका में कहा गया है कि इन तथ्यों के मद्देनजर जरूरी है कि इस मामले की जांच संबंधित पुलिस थाने से लेकर किसी अन्य जांच एजेन्सी को सौंप दी जाये।
याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता तारा नरूला, नूपुर, अपराजिता सिन्हा उपस्थित हुयीं।
राज्य की ओर से एपीपी अमित प्रसाद उपस्थित हुये।
आदेश पढ़ें:
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