दिल्ली एचसी द्वारा अनिल अंबानी के गारंटर होने से आईबीसी कार्यवाही पर रोक, व्यक्तिगत दिवालिया के प्रावधानो के तहत नोटिस जारी

अनिल अंबानी की व्यक्तिगत गारंटी पर आरकॉम और आरआईटीएल ने भारतीय स्टेट बैंक से क्रमश: 565 करोड़ रूपए और 635 करोड़ के कर्ज की सुविधा ली थी।
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने रिलायंस एडीए समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी के खिलाफ दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता के भाग-III के अंतर्गत व्यक्तिगत दिवालिया कार्यवाही पर आज रोक लगा दी और उन्हें अपनी कोई भी संपत्ति हस्तांतरित या निष्पादित नहीं करने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रजनीश भटनागर की खंडपीठ ने इस संहिता के भाग –III के अंतर्गत व्यक्तिगत गारंटी देने वाले के खिलाफ व्यक्तिगत दिवालिया कार्यवाही से संबंधित प्रावधान की वैधता को चुनौती देने वाली अनिल अंबानी की याचिका पर यह आदेश पारित किया।

न्यायालय ने इस याचिका पर भारतीय स्टेट बैंक, केन्द्र सरकार और दिवाला तथा शोधन अक्षमता बोर्ड को नोटिस जारी किये।

अनिल अंबानी की व्यक्तिगत गारंटी पर रिलायंस कम्युनिकेशंत लि (आरकाम) और रिलायंस इंफ्राटेल लि.(आरआईटीएल) ने भारतीय स्टेट बैंक से क्रमश: 565 करोड रूपए और 635 करोड़ रूपए का ऋण लिया था।

न्यायालय ने स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी की आरकाम और आरआईटीएल के खिलाफ निगमित दिवालिया समाध्रान प्रक्रिया जारी रहेगी और उन ऋण के मामलों में व्यक्तिगत गारंटर के रूप में अनिल अंबानी की देनदारी की सीमा के बारे में रिजोल्यूशन प्रोफेशनल विवेचना कर सकते हैं।

अनिल अंबानी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे पेश हुये।

स्टेट बैंक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता नीरज किशन कौल और अतिरिक्त सालिसीटर जनरल माधवी दीवान ने भाग III के अंतर्गत कार्यवाही पर रोक लगाने का जोरदार विरोध किया।

माधवी दीवान ने दलील दी कि इस पर रोक लगाये जाने पर इसी तरह के अनेक व्यक्तिगत गारंटर भी आईबीसी के अंतर्गत इस कार्यवाही पर स्थगन लेने का प्रयास करेंगे जबकि वरिष्ठ अधिवक्ता कौल का तर्क था कि इस याचिका का मकसद दिवाला शोधन अक्षमता संहिता के अंतर्गत कार्यवाही को बाधित करना है।

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