दिल्ली HC ने NATGRID,केंद्रीय निगरानी प्रणाली, नेत्रा से नागरिको के डेटा के संग्रह के खिलाफ याचिका मे केंद्र से जवाब मांगा

सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की ओर से पीआईएल अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने प्रस्तुत की।
Delhi High Court
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दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को एक सार्वजनिक जनहित याचिका (पीआईएल) में केंद्र सरकार से जवाब मांगा, जिसमे केंद्र से NATGRID, केंद्रीय निगरानी प्रणाली और नेत्रा के माध्यम से नागरिकों के डेटा के संग्रह को रोकने के लिए केंद्र को निर्देश देने की मांग की गयी।

याचिकाकर्ता, सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (CPIL) की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने दलील दी कि केएस पुत्तास्वामी मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार की कार्रवाइयों की शुरुआत हुई।

भूषण ने प्रस्तुत किया “यह एक चिंताजनक स्थिति है ..तीनों सिस्टमों ने पुट्टस्वामी और PUCL में सुप्रीम कोर्ट द्वारा कही गई सभी चीजों को नष्ट कर दिया।"

मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल और न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की खंडपीठ ने केंद्र को याचिका में अपना हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, लेकिन अब तक एकत्र किए गए आंकड़ों का विवरण मांगने के लिए कोई भी अंतरिम निर्देश पारित करने से इनकार कर दिया।

भूषण ने तर्क दिया कि सामूहिक रूप से, NATGRID, सेंट्रल मॉनिटरिंग सिस्टम (CMs) और नेत्रा उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों सहित नागरिकों पर 360 ° निगरानी बनाते हैं।

उन्होने दावा किया कि “सभी इंटरनेट ट्रैफ़िक, सभी ईमेल, इंटरनेट के माध्यम से भेजे गए संचार सरकार द्वारा देखे जा सकते हैं”

उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा एकत्र आंकड़ों में किसी के बैंक खाते, लेनदेन, यात्रा इतिहास आदि का विवरण शामिल है।

फोन टैपिंग के अभ्यास के संबंध में, भूषण ने दावा किया कि वर्तमान में, हर महीने लगभग 7,500-9,000 की अनुमति नियमित रूप से दी जाती है, जबकि समीक्षा समिति हर दो महीने में एक बार बैठती है।

इस मामले की अगली सुनवाई 7 जनवरी को होगी।

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Delhi High Court seeks Centre's response in plea against collection of citizens' data through NATGRID, Central Monitoring System and Netra

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