दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को दिल्ली पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट मांगी जिसमें 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली के दौरान एक 25 वर्षीय प्रदर्शनकारी किसान की असामयिक मौत की अदालत की निगरानी में विशेष जांच दल के गठन की मांग की गई।(हरदीप सिंह बनाम राज्य)।
न्यायमूर्ति योगेश खन्ना की एकल न्यायाधीश पीठ ने याचिका में मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला अस्पताल, रामपुर, उत्तर प्रदेश और स्टेशन हाउस अधिकारी, पुलिस स्टेशन बिलासपुर रामपुर, उत्तर प्रदेश को भी नोटिस जारी किया।
उच्च न्यायालय के समक्ष याचिकाकर्ता मृतक नवप्रीत सिंह के दादा हैं।
दिल्ली पुलिस ने दावा किया है कि वर्तमान मामले में मौत का कारण एक मोटर दुर्घटना थी।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने दलील दी कि न केवल दो चश्मदीद गवाह हैं जो दावा करते हैं कि बंदूकधारी थे, यहां तक कि चिकित्सा विशेषज्ञों ने भी इस बात का को माना है कि मृतक के शरीर पर मौजूद घाव गोली के घाव के अनुरूप हैं।
मैंने अपने पोते को खो दिया है। मुझे यह जानने का अधिकार है कि उनकी मृत्यु कैसे हुई। मैं निष्पक्ष, स्वतंत्र और समयबद्ध जांच की मांग कर रहा हूं। दिल्ली पुलिस ने हर कदम पर मुझमें विश्वास नहीं जगाया।
ग्रोवर ने अदालत को सूचित किया कि दिल्ली पुलिस द्वारा घटनास्थल को छोड़ने के बाद, मृतक का परिवार शव को उत्तर प्रदेश के रामपुर ले गया, जहां पोस्टमार्टम किया गया।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस ने न तो किसी भी तरह की पूछताछ की कार्यवाही शुरू की और न ही दंड प्रक्रिया संहिता के संदर्भ में कोई प्राथमिकी दर्ज की।
ग्रोवर ने यह भी उजागर किया कि घटना स्थल के पास विभिन्न सीसीटीवी कैमरे हैं, और उसी के फुटेज को संरक्षित किया जाना चाहिए।
ग्रोवर ने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस उन सीसीटीवी में से केवल एक चुनिंदा फुटेज जारी कर रही थी ताकि घटना के अपने दावे को दुर्घटना के रूप में आगे बढ़ाया जा सके।
मेहरा ने कहा कि उन दस्तावेजों को साझा करने में कोई कठिनाई नहीं है जो दिल्ली पुलिस के कब्जे में हैं और अगर सीसीटीवी फुटेज को संरक्षित किया जाना है, तो इसके लिए कदम उठाए जाएंगे।
फिर भी उन्होंने मामले में स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए कोर्ट से समय मांगा।
इस मामले की अगली सुनवाई 26 फरवरी को होगी।
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