दिल्ली हिंसा: संरक्षित गवाहों की पहचान गुप्त रखने के लिये दिल्ली कोर्ट द्वारा आरोप पत्र की प्रतियां लौटाने का निर्देश

अदालत को सूचित किया गया कि गलती से आरोप पत्र में कुछ संरक्षित गवाहों की पहचान उजागर कर दी गयी
दिल्ली हिंसा: संरक्षित गवाहों की पहचान गुप्त रखने के लिये दिल्ली कोर्ट द्वारा आरोप पत्र की प्रतियां लौटाने का निर्देश

उत्तर पूर्वी दिल्ली में फरवरी, 2020 में हुये सांप्रदायिक दंगों की साजिश से संबंधित मामले में संरक्षित गवाहों के नाम उजागर होने के बाद दिल्ली की अदात ने सभी आरोपियों के वकीलों को उन्हें सौंपी गयी आरोप पत्र की प्रतियां लौटाने का निर्देश दिया है।

अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि किसी भी संरक्षित गवाह का नाम किसी भी हालत में उजागर नहीं किया जायेगा।

कड़कड़डूमा अदालत में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून की धारा 44 के तहत विशेष लोक अभियोजक द्वारा दायर एक आवेदन पर यह आदेश दिया।

विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने अदालत को सूचित किया कि आरोप पत्र के साथ बगैर कांट छांट के संलग्न न्यायिक और जांच संबंधी कागजात के माध्यम से कुछ संरक्षित गवाहों पहचान का खुलासा हो गया है।

उन्होंने कहा कि ऐसा जानबूझ कर नहीं किया गया।

विशेष लोक अभियोजक ने संरक्षित गवाहों की जिंदगी, स्वतंत्रता और सुरक्षा सबसे महत्वपूर्ण बताते हुये अदालत से गवाहों के संरक्षण के लिये निर्देश जारी करने का अनुरोध किया।

अदालत को यह भी बताया गया कि कम से कम तीन ऐसे संरक्षित गवाहों से उन लोगों ने संपर्क किया है जिनकी इसमें दिलचस्पी है।

अदालत ने सारी स्थिति पर विचार करते हुये टिप्पणी की कि जांच अधिकारी से गलती हुयी है। अदालत ने कहा कि चूंकि संरक्षित गवाहों की पहचान गोपनीय रखने का मकसद स्वतंत्र सुनवाई सुनिश्चित करना था, इसलिए तत्काल संरक्षण आदेश पारित करने की जरूरत है।

अदालत ने आदेश दिया,

‘‘कोई भी आरोपी या कोई अन्य व्यक्ति या प्राधिकारी आदि संरक्षित गवाहों की पहचान उजागर या सार्वजनिक नहीं करेंगे और न ही किसी भी तरह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से उनसे संपर्क करेगा।’’

अदालत ने कहा,

‘‘ आरोपी व्यक्तियों के वकीलों को दी गयी पेनड्राइव में संरक्षित गवाहों के नाम का कथित उल्लेख है और इसलिए यह उचित होगा कि उनसे, अदालत के अधिकारी हैं, इसे अदालत को सौंपने के लिये कहा जाये और जांच अधिकारी अगली तारीख पर तत्काल ही उन्हें नयी प्रतियां उपलब्ध करा देंगे। लौटाई जाने वाली पेनड्राइव में अदालत को भी दी गयी पेनड्राइव भी है।’’

अदालत ने दिल्ली पुलिस को भी निर्देश दिया कि वह ऐसे सभी गवाहों की समुचित सुरक्षा सुनिश्चित करे।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रावत की अदालत में 16 सितंबर, 2020 को पुलिस पुलिस के एसीपी आलोक कुमार और डीसीपी पीएस कुशवाह द्वारा दाखिल आरोप पत्र में ताहिक हुसैन, सफूरा जरगर, नताशा नरवल और देवांगना कलिता सहित 15 व्यक्तियों को आरोपी नामित किया गया है।

पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120-बी सपठित गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम कानून की धारा 13,16,17,18, भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए, 153ए, 302, 307, 109, 114, 147, 148, 149, 186, 353,395, 201, 341, 212, 295, 427, 435, 436, 452, 454, 341, 420, 468,471, 34 और शस्त्र कानून की धारा 25 और 27 तथा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान रोकथाम कानून की धारा 3 और 4 के तहत अपराधों का संज्ञान लेने का अनुरोध अदालत से किया है।

दिल्ली पुलिस ने इस मामले मे पिछले महीने उमर खालिद को गिरफ्तार किया था। खालिद को 10 दिन की पुलिस हिरासत के बाद 22 अक्टूबर तक के लिये न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

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[DELHI RIOTS] Delhi Court directs return of chargesheet copies to secure identity of protected witnesses

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