कर्नाटक के एक वकील ने 19 अगस्त, 2020 को आयोजित होने वाली कन्सोर्टियम ऑफ मेडिकल, इंजीनियरिंग एंड डेंटल कॉलेज ऑफ कर्नाटक (सीओएमईडीके) परीक्षा के संचालन को रोकने के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
एडवोकेट अब्दुल्ला मन्नन खान की याचिका मे सीओएमईडीके परीक्षा का आयोजन, नीट जेईई परीक्षा के बाद के लिए विनती की और कहा कि इसे "कोरोना क्राइसिस तक टाल दिया जाये", जब तक कि लॉकडाउन व्यक्तिगत राज्यों में प्रभावित नहीं हो जाते।
सीओएमईडीके एक अंडरग्रेजुएट एंट्रेंस टेस्ट (यूजीईटी) राज्य-स्तरीय प्रवेश परीक्षा है जो की कन्सोर्टियम ऑफ मेडिकल, इंजीनियरिंग एंड डेंटल कॉलेज ऑफ कर्नाटक द्वारा आयोजित की जाती है।
याचिका में कहा गया है कि सीओएमईडीके 2020 सबसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं में से एक है क्योंकि यह हजारों छात्रों के कैरियर की स्थापना का एक रास्ता है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि विभिन्न राज्यों में सार्वजनिक परिवहन की कमी है, जिसके परिणामस्वरूप परीक्षा में अनुपस्थित रहने वाले छात्रों की कमी हो सकती है, जो कि संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन होगा।
याचिका में आगे कहा गया है कि अनुच्छेद 14 के तहत समान अवसर के अधिकार का उल्लंघन है। क्यूंकी कुछ विशेष राज्यों के छात्र परीक्षा में उपस्थित हो सकते हैं, जबकि लॉकडाउन में कुछ राज्यों के छात्र उपस्थित नहीं हो सकते हैं, खासकर यदि ये छात्र नियंत्रित क्षेत्र से हैं।
सीओएमईडीके परीक्षा के आयोजन के लिए 24 जुलाई की अधिसूचना को रद्द करने पर जोर देते हुए, दलील में कहा गया है कि "सीओएमईडीके 2020 का संचालन करना अतिआवश्यक नहीं है क्योंकि इससे छात्रों के शैक्षणिक भविष्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।"
याचिका में कहा गया है कि, "नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ने पहले ही देश में भीषण कोविड़ -19 के मद्धेनजर जेईई, नीट, एआईबीई, सीएलएटी जैसे राष्ट्रीय स्तर के प्रवेश परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है।"
यह भी बताया गया है कि सीओएमईडीके को मई के महीने से पहले ही एक से अधिक बार स्थगित कर दिया गया था। कोविड-19 मामलों की बढ़ती संख्या के बीच अब परीक्षा आयोजित करने की कोई आवश्यकता नहीं है।
सीओएमईडीके परीक्षा 2020 मे लगभग 70,000 छात्रों के उपस्थित होने की उम्मीद है, जो कन्सोर्टियम ऑफ मेडिकल, इंजीनियरिंग एंड डेंटल कॉलेज ऑफ कर्नाटक द्वारा 19 अगस्त को निर्धारित है।
यह दलील परीक्षा के सुरक्षित संचालन के लिए 7 अगस्त को आयोजित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) को भी इंगित करती है, यह भी इंगित करती है कि यह "केवल सांकेतिक है।"
एसओपी कई पहलुओं पर अस्पष्ट है, जिसमें एक कमरे में अनुमानित लोगों की संख्या और बाहरी क्षेत्र में लोगों की संख्या शामिल है।
एसओपी यह भी निर्देश देता है कि छात्र पंजीकरण डेस्क पर अपना फ़ेस मास्क हटा दें, एक चिंता का विषय है कि, "उस जगह पर मास्क को हटाने से जहां सैकड़ों छात्र खड़े हो गए हैं, कोविड़ 19 को फैलाने के हालात उत्पन्न होते है क्योंकि वहाँ दूषित वायु अवशेषों की विद्यमानता होती है।"
यह भी ध्यान दिया जाता है कि एसओपी किसी भी छात्र को परीक्षा मे बैठने के लिए 99.14 फ़ारेनहाइट से ऊपर के तापमान की अनुमति नहीं देता है। एक चिंता का विषय है कि छात्रों को इस वजह से गलत तरीके से परीक्षा मे बैठने से रोका जा सकता है क्योंकि यह तापमान मार्कर हमेशा किसी व्यक्ति के कोविड-19 पॉज़िटिव होने का संकेत नहीं होता है।