[ब्रेकिंग] मुंबई विशेष अदालत ने एल्गर परिषद मामले के आरोपी फादर स्टेन स्वामी की जमानत याचिका खारिज की

स्वामी को 8 अक्टूबर को रांची में उनके घर से 2018 में भीमा कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और तलोजा जेल में बंद कर दिया गया।
Father Stan Swamy
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राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा जांच किए गए मामलों से निपटने वाली एक विशेष अदालत ने सोमवार को 2018 मे हुई भीमा कोरेगांव हिंसा के संबंध में फादर स्टेन स्वामी को जमानत देने से इनकार कर दिया।

स्वामी को 8 अक्टूबर को रांची में उनके घर से 2018 में भीमा कोरेगांव में दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया और तलोजा जेल में बंद कर दिया गया।

स्वामी ने मामले की मेरिट के साथ मुख्य रूप से चिकित्सा आधार पर जमानत मांगी थी।

उनके वकील शरीफ शेख ने प्रस्तुत किया कि अस्सी वर्षीय पार्किंसंस रोग से पीड़ित है और इस बात पर प्रकाश डाला कि स्वास्थ्य कारणों से उन्हें जेल अस्पताल में कैसे स्थानांतरित किया गया था।

उन्होंने यह भी बताया कि उनका नाम कथित तौर पर मूल प्राथमिकी का हिस्सा भी नहीं था, लेकिन पुलिस ने एक संदिग्ध आरोपी के रूप में 2018 के रिमांड आवेदन में जोड़ा था।

बाद में स्वामी के आवास पर दो छापे मारे गए जिसमे कुछ भी नहीं मिला। दरअसल, पुणे पुलिस ने बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वामी द्वारा दायर एक याचिका में रिकॉर्ड पर भी कहा था कि उन्हें गिरफ्तार करने का कोई इरादा नहीं था, क्योंकि वह आरोपी नहीं थे।

एनआईए की ओर से पेश विशेष लोक अभियोजक प्रकाश शेट्टी ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए जोरदार तर्क दिया कि स्वामी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) (माओवादी) द्वारा की जा रही गतिविधियों में शामिल थे।

कथित तौर पर, स्वामी सीपीआई (माओवादियों) के लिए गतिविधियों में शामिल विस्तापन विरोधी जन विकास आंदोलन और पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज जैसे संगठनों के कट्टर समर्थक थे।

उन्होंने कहा कि कई जांच के दौरान, उनके लैपटॉप पर उनके खिलाफ गंभीर सबूत पाए गए।

शेट्टी ने दावा किया कि स्वामी ने अपने इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से सबूत नष्ट करने की भी कोशिश की, जिससे सीपीआई (माओवादी) गतिविधियों में उनकी भागीदारी का पता चला।

यह दावा किया गया कि एनआईए के पास प्रथम दृष्टया पर्याप्त सबूत हैं जिससे यह साबित होता है कि आरोपी गहरी साजिश में शामिल था और सीधे नक्सली आंदोलन में शामिल था।

शेट्टी ने तर्क दिया कि उन्होंने जमानत आवेदन में अपना फैसला देने से पहले उन दस्तावेजों को अदालत में रिकॉर्ड पर लाने के लिए आवश्यक और महत्वपूर्ण माना। उन्होंने जिस दस्तावेज को रिकॉर्ड पर लाने की मांग की वह जांच एजेंसी की केस डायरी थी।

शरीफ ने इस तरह के आवेदन का विरोध किया, जिसमें कहा गया कि अभियोजन आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 173 के माध्यम से रिकॉर्ड नए दस्तावेजों को लाने की कोशिश कर रहा था।

उन्होंने कहा कि इस तरह के दस्तावेज केवल एक पूरक आरोप पत्र दाखिल करने के लिए लाए जा सकते हैं और एनआईए ने इसे दाखिल करने के बारे में कोई प्रस्तुत नहीं किया है।

कोर्ट ने आखिरकार 16 मार्च, 2021 को आदेश के लिए मामला सुरक्षित रखा।

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[BREAKING] Mumbai Special Court rejects bail plea of Elgar Parishad case accused Father Stan Swamy

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