सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा: सुनिश्चित करें दिल्ली में स्मॉग नहीं हो

उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में वायु प्रदूषण की समस्या से निबटने के लिये कार्यपालिका अदालतों से कहीं बेहतर संसाधनों से सुसज्जित है
Smog in Delhi
Smog in Delhi

उच्चतम न्यायालय ने शक्रवार को कहा कि केन्द्र सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाने चाहिए कि दिल्ली-एनसीआर को आने वाले दिनो में स्मॉग की परेशानी ने जूझना नहीं पड़े। न्यायालय ने कहा कि इस तरह के विषयों से निबटने के लिये अदालतों की अपनी सीमायें हैं।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने वायु गुणवत्ता सूचकांक में गिरावट में योगदान के अपराधों के लिये कार्रवाई पर जोर देते सालिसीटर जनरल तुषार मेहता को यह सुनिश्चित करने के लिये कहा कि दिल्ली स्मॉग और दूषित वायु से प्रभावित नहीं हो।

मेहता ने न्यायालय को सूचित किया कि केन्द्र सरकार ने एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का गठन किया है और यह आज से काम करना शुरू कर देगा।

केन्द्र ने एनसीआर और आसपास के क्षेत्रों के लिये वायु गुणवत्ता प्रबंधन अध्यादेश, 2020 के अंतर्गत अपने अधिकारों का इस्तेमाल करते हुये बृहस्पतिवार को एनसीआर में वायु प्रदूषण पर निगाह रखने और एक्यू1 स्तर में गिरावट से निबटने के लिये आयोग गठित किया है।

‘‘पहले से ही कई आयोग हैं और कई दिमाग इसमें लगे हैं लेकिन यह सुनिश्चित कीजिये कि शहर में स्मॉग नहीं हो। अपराधों को भी श्रेणीबद्ध करें क्योंकि प्रत्येक अपराध के लिये पांच साल की कैद या एक करोड़ रूपए का जुर्माना नहीं हो सकता है।’’
मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने टिप्पणी की

वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने कहा कि दिल्ली के हालात ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातस्थिति’ जैसे हो रहे हैं और कुछ कठोर उपाये करने की जरूरत है।’

हालांकि, मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में अब दीवाली अवकाश के बाद विचार किया जायेगा और वैसे भी अदालत की सीमायें हैं जबकि कायपालिका ‘धन और संसाधनों’ वाली संस्था है।

सीजेआइ ने कहा, ‘‘हमारी कुछ सीमायें हैं और हम अपनी जिम्मेदारी से नहीं हट रहे है, सालिसीटर जनरल को कदम उठाने दीजिये।’’

हालांकि, सिंह ने इस आयोग के स्वरूप को लेकर अपनी आपत्ति जताई और कहा कि इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय का कोई सदस्य नहीं है, इस पर न्यायालय ने कहा कि उन मुद्दों पर दीवाली अवकाश के बाद विचार किया जायेगा।

पराली जलाने और इसकी वजह से दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण गंभीर स्थिति की ओर आदित्य दुबे ने अपनी याचिका में न्यायालय का ध्यान आकर्षित किया था।

अन्य बातों के अलावा याचिकाकर्ता ने एक निगरानी समिति गठित करने की सिफारिश करने के साथ ही उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश मदन बी लोकूर की अध्यक्षता में एक समिति बनाने का सुझाव दिया था।

शीर्ष अदालत इसके लिये सहमत हो गयी थी और उसने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम और निगरानी के लिये न्यायमूर्ति मदन लोकूर की अध्यक्षता में एक सदस्यीय निगरानी समिति नियुक्त भी की थी। सालिसीटर जनरल मेहता के कड़े प्रतिवाद के बावजूद न्यायालय ने यह आदेश पारित किया था।

परंतु बाद में न्यायालय ने इसे विलंबित कर दिया क्योकि मेहता ने उसे सूचित किया कि इस समस्या से निबटने के लिये एक अध्यादेश जारी किया जा चुका है और इसलिए न्यायमूर्ति लोकूर की नियुक्ति का आदेा वापस लिया जाना चाहिए।

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"Ensure there is no smog in Delhi," Supreme Court to Centre

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