परिवार को तकलीफ़ नही होनी चाहिए: पहलगाम हमले से झूठे संबंध के लिए NDPS आरोपी के बच्चो को परेशान किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट

न्यायालय ने कहा कि चाहे आरोपी ने अपराध किया हो या नहीं, परिवार के किसी भी सदस्य को कष्ट नहीं दिया जाना चाहिए।
Pahalgam
Pahalgam
Published on
2 min read

सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को इस बात पर चिंता व्यक्त की कि नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्सटेंस (एनडीपीएस) अधिनियम के तहत आरोपी एक व्यक्ति के बच्चों को हाल ही में हुए पहलगाम आतंकवादी हमले से गलत तरीके से जोड़कर ताना मारा जा रहा है, जिसमें 26 लोगों की जान चली गई थी [हरप्रीत सिंह तलवार @ कबीर तलवार बनाम गुजरात राज्य]।

आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा,

"किसी भी व्यक्ति के परिवार के किसी भी सदस्य को, चाहे उसने कुछ भी किया हो या नहीं किया हो, उसके कारण कोई नुकसान नहीं होना चाहिए।"

आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर्यमा सुंदरम ने दलील दी कि आरोपी के बच्चों को स्कूल में धमकाया जा रहा है और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा अदालत में किए गए दावों के बाद उन्हें "आतंकवादियों के बच्चे" करार दिया जा रहा है।

Justice Surya Kant, Justice Dipankar Datta & Justice NK Singh
Justice Surya Kant, Justice Dipankar Datta & Justice NK Singh

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दावा किया कि मामले में ड्रग्स से प्राप्त कुछ आय आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा को गई, जिससे इस मामले को हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले से जोड़ने की अटकलें लगाई जाने लगीं।

सुंदरम ने तर्क दिया कि इस दावे के कारण आरोपी के नाबालिग बच्चों का सामाजिक बहिष्कार और उत्पीड़न हुआ, जिसके कारण परिवार को उन्हें स्कूल से वापस लाना पड़ा।

सुंदरम ने आग्रह किया, "कल अचानक पहलगाम का उल्लेख किया गया... कृपया स्पष्ट करें कि इसका एनडीपीएस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।"

प्रतिवेदनों का जवाब देते हुए मेहता ने कहा कि ऐसे सबूत हैं जो संकेत देते हैं कि कथित ड्रग तस्करी की आय लश्कर-ए-तैयबा को भेजी गई थी।

हालांकि, सुंदरम ने इस पर सवाल उठाते हुए इस तरह के संबंध का दस्तावेजी सबूत मांगा।

सुंदरम ने कहा, "मुझे ऐसा कोई कागज़ दिखाइए जिस पर ऐसा लिखा हो। ऐसा कहीं नहीं है।"

SG Tushar Mehta and Aryama Sundaram
SG Tushar Mehta and Aryama Sundaram

न्यायमूर्ति कांत ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि इस तरह के मुद्दे न्यायालय द्वारा विचार किए जा रहे मामले के लिए प्रासंगिक नहीं हैं। उन्होंने किसी भी पक्ष की ओर से भावनात्मक तर्कों के प्रति आगाह किया।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने माना कि परिवार के सदस्यों के खिलाफ कार्यवाही के कारण बच्चों को कष्ट नहीं उठाना चाहिए।

Aishwarya Bhati, Additional Solicitor General
Aishwarya Bhati, Additional Solicitor General

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें


Family shouldn't suffer: Supreme Court after NDPS accused's kids bullied for false link to Pahalgam attack

Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com