[ब्रेकिंग] किसानो का विरोध शीघ्र ही राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है:न्यायालय का समस्या के समाधान के लिये समिति गठित करने का सुझाव

मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने कहा कि हम किसान संगठनों से कहेंगे कि वे भी इस समिति का हिस्सा बनें क्योंकि यह जल्द ही राष्ट्रीय मुद्दा बन जायेगा।
[ब्रेकिंग] किसानो का विरोध शीघ्र ही राष्ट्रीय मुद्दा बन सकता है:न्यायालय का समस्या के समाधान के लिये समिति गठित करने का सुझाव

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि दिल्ली और आसपास के इलाकों में किसानों का विरोध प्रदर्शन शीघ्र ही एक राष्ट्रीय मुद्दे में तब्दील हो सकता है और इसलिए न्यायालय इस मामले का बातचीत और सर्वमान्य तरीके से समाधान के लिये एक समिति गठित करने का प्रस्ताव कर रही है।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने यह भी कहा कि केन्द्र सरकार और किसानों के प्रतिनिधियों के बीच बातचीत से अपेक्षित नतीजा नहीं निकला है।

सीजेआई बोबडे ने कहा, ‘‘ मि. मेहता (सालिसीटर जनरल) हम आपको बतायेंगे कि हम क्या करने की सोच रहे हैं। हम इस विवाद को हल करने के लिये एक समिति गठित करेंगे। इसमें भारतीय किसान यूनियन, भारत सरकार और दूसरे किसान संगठनों के प्रतिनिधि होंगे। हम किसान संगठनों से कहेंगे कि वे भी इस समिति का हिस्सा बनें क्योंकि यह जल्द ही एक राष्ट्रीय मुद्दा बन जायेगा।’’

न्यायालय ने हाल ही में लागू तीन कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली-एनसीआर की सीमाओं पर धरना दे रहे किसानों को हटाने के लिये दायर दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था।

शीर्ष अदालत ने इन याचिकाओं पर केन्द्र, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किये और याचिकाकर्ताओं को इसमें विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों और यूनियनों को प्रतिवादी बनाने की छूट दी।

न्यायालय इस मामले में कल फिर सुनवाई करेगा।

एक याचिका कानून के छात्र ऋषभ शर्मा ने दायर की है। उसने इस याचिका में कहा है कि इस जमावड़े को हटाना जरूरी है क्योंकि इन्होंने सड़कों को अवरूद्ध कर रखा है और दिल्ली में आपात सेवाओं को बाधित कर दिया है जहां कोविड-19 मामलों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

याचिका में कहा गया है कि इसके अलावा विभिन्न राज्यों के अनेक मरीज सरकारी अस्पतालों में इलाज के लिये लगातार दिल्ली की यात्रा करते हैं।

याचिका में यह भी कहा गया है कि दिल्ली की सीमा पर हो रहे विरोध प्रदर्शन से लाखों लोगों की जिंदगी को खतरा हो रहा है क्योंकि कोरोनावायरस संक्रमण है और अगर इस बीमारी ने सामुदायिक प्रसार की शक्ल ले ली तो इससे देश पर बड़ी विपदा आ जायेगा।

याचिका में विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों को किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित करने और दिल्ली की अवरूद्ध सीमाओं को फिर से खोलने का अनुरोध किया गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि प्रदर्शनकारी समूहों में सामाजिक दूरी और मास्क लगाने के मानकों का अनिवार्य रूप से पालन सुनिश्चित कराया जाये।

याचिका के अनुसार, ‘‘यद्ध्पी पुलिस ने शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन के लिये निर्धारित स्थान आबंटित किया है लेकिन प्रदर्शनकरी उस आबंटित जगह पर नहीं जा रहे हैं और आने जाने वालों के लिये समस्या पैदा करने के इरादे से उन्होंने सीमाओं को अवरूद्ध कर दिया है। यही नहीं, इतनी बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों के एकत्र होने की वजह से पुलिस उन्हें नियंत्रित नहीं कर पा रही है।’’

याचिकाओं में महामारी बीमारी कानून का भी हवाला दिया गया है जिसमे ऐसे व्यक्तियों के लिये छह महीने तक की सजा का प्रावधान है जिनकी गतिविधियों से इस संक्रमण के फैलने और लोगों के जीवन को खतरा पैदा होने की आशंका हो।

शर्मा के अलावा दो अन्य याचिकाये अधिवक्ता जीएस मणि और रीपक कंसल ने दायर की हैं।

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[BREAKING] "Farmers protests could soon become a national issue:" Supreme Court mooting committee to resolve the issue

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