आभासी सुनवाई: गुजरात HC ने कार मे धूम्रपान करते दिखे वकील की बिना शर्त माफी, अवांछनीय अध्याय बंद कर दिया [आदेश पढ़ें]

न्यायालय ने आदेश में कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने अधिवक्ता महानुभाव कहा है, जिसे सदाचार के उच्च मानदंडों और असंदिग्ध कानूनी तथा नैतिक शुचिता का पालन करना होगा। ’’
Gujarat High Court
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गुजरात उच्च न्यायालय ने वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये सुनवाई के दौरान कार में धूम्रपान करते नजर आये अधिवक्ता की बिना शर्त माफी स्वीकार करते हुये उसके खिलाफ अवमानना कार्यवाही का ‘अवांछित अध्याय’ बंद कर दिया है।

न्यायमूर्ति एएस सुफेइया की एकल पीठ ने इस अधिवक्ता के इस कथन का संज्ञान लिया कि वह इस कृत्य को नहीं दोहरायगा और वकालत के पेशे की भूमिका के साथ जुड़े औचित्य के मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के प्रमुख फैसलों को उद्धृत किया।

‘‘इस न्यायालय ने उनकी माफी को बगैर किसी कटु भावना या दुर्भाव के स्वीकार किया जाता है।’’
जस्टिस एएस सुपेहिया

न्यायालय ने उम्मीद व्यक्त की कि इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति नहीं होगी और कहा कि अधिवक्ता के बारे में उसकी टिप्पणियों को उनके खिलाफ नहीं माना जायेगा। उच्च न्यायालय ने फिर दोहराया,

‘‘शीर्ष अदालत ने अधिवक्ता को महानुभाव संबोधित किया है जिसे सदाचार के उच्च मानदंडों और असंदिग्ध कानूनी तथा नैतिक शुचिता का पालन करना होगा।’’
गुजरात उच्च न्यायालय

अधिवक्ता के सामने कानूनी पेशे के लंबे रास्ते को ध्यान में रखते हुये न्यायालय ने कहा कि उसे आचरण के बारे में ‘विनय चंद्र मिश्रा, आर डी सक्सेना, बलराम प्रसाद शर्मा और देवेन्द्र भाईशंकर मेहता बनाम भारत सरकार प्रकरण में उच्चतम न्यायालय की व्यवस्थाओं को ध्यान रखना चाहिए।

इससे पहले के आदेश में अधिवक्ता को प्रताड़ित करते हुये न्यायालय ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को मामलों की सुनवाई के दौरान अधिवक्ताओं के उचित आचरण के बारे में एक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति सुफेईया ने पांच अक्टूबर को रजिस्ट्रार को निर्देश दिया था कि यह रिपोर्ट बार काउन्सिल ऑफ गुजरात और गुजरात हाई कोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन को भेजी जाये।

उचच न्यायालय ने आदेश में यह भी कहा था,

‘‘हालांकि, मैं इन दोनों प्रतिष्ठित संगठनों को यह निर्देश नहीं दे सकता कि वे अपने सदस्यों के साथ आवश्यक रूप से औपचारिक वार्ता करे लेकिन मैं उम्मीद करता हूं कि शीर्ष अदालत की उपरोक्त टिप्पणियों से अवगत कराया जाये ताकि इस तरह की अनुचित और अप्रिय घटनाओ को टाला जा सके।’’

अधिवक्ता के आचरण पर प्रारंभिक टिप्पणियों के बाद, न्यायाधीश ने इस मामले पर विचार किया जिसमे इस वकील ने धोखाधड़ी और साजिश के आरोपी व्यक्ति की ओर से उसकी जमानत की अर्जी दायर की थी।

न्यायालय ने आवेदनकर्ता के अगस्त से ही हिरासत में होने और प्राथिमकी दायर करने मे विलंब तथा लंबी चली जांच जैसे तथ्यों के साथ ही उसकी किसी प्रकार की आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं होने के तथ्य के मद्देनजर उसे जमानत दे दी

इसी के साथ न्यायालय ने मामले का निस्तारण कर दिया।

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Mansukhbhai_Polabhai_Dhaduk_v__State_of_Gujarat___Order_dated_October_10__2020.pdf
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Virtual Hearings: Gujarat High Court records unconditional apology of lawyer seen smoking in car, closes 'undesirable chapter' [Read Order]

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