ज्ञानवापी मामला: यूपी कोर्ट ने शिवलिंग पर टिप्पणी को लेकर अखिलेश यादव, असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ FIR दर्ज की याचिका खारिज की

न्यायालय ने कहा कि नेताओं के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता जैसा कि याचिका में आरोप लगाया गया है।
Asaduddin Owaisi and Akhilesh Yadav with Varanasi court
Asaduddin Owaisi and Akhilesh Yadav with Varanasi court
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वाराणसी की एक अदालत ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी मस्जिद मामले में उनकी टिप्पणी के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। [हरिशंकर पांडे बनाम मौलाना अब्दुल बागी]।

अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट उज्ज्वल उपाध्याय ने आज अधिवक्ता हरि शंकर पांडे द्वारा दायर आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के तहत याचिका को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि याचिका में कथित रूप से नेताओं के खिलाफ कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है।

धार्मिक भावनाओं को आहत करने के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की मांग वाली याचिका को पिछले साल 15 नवंबर को स्वीकार किया गया था।

31 जनवरी को कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।

याचिका में दावा किया गया है कि दोनों नेता ज्ञानवापी मस्जिद के अंदर कथित तौर पर मिले 'शिव लिंग' पर अपनी विवादित टिप्पणियों के जरिए धार्मिक भावनाओं को आहत कर वाराणसी के माहौल को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।

पांडेय ने तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा मामले पर कोई टिप्पणी नहीं किए जाने के बावजूद ये नेता वोट के लिए लोगों की भावनाओं को भड़काने की कोशिश कर रहे हैं.

दलील में आगे कहा गया है कि नेताओं ने शिव लिंग पर अपनी 'आपत्तिजनक टिप्पणी' से हिंदुओं की 'भावनाओं को ठेस' पहुंचाई है।

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Gyanvapi-Kashi Vishwanath case: UP Court dismisses plea to register FIR against Akhilesh Yadav, Asaduddin Owaisi for comments on Shiva Linga

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