[आईबीसी] सीआईआरपी को 330 दिनों में पूरा किया जाना है; NCLT, NCLAT को समय सीमा का पालन करना चाहिए: सुप्रीम कोर्ट

दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) को कानून द्वारा निर्धारित 330 दिनों की समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना है।
Supreme Court and IBC
Supreme Court and IBC
Published on
1 min read

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए कहा, दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के तहत कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) को कानून के तहत निर्धारित 330 दिनों की समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना है। (एबिक्स सिंगापुर बनाम एडुकॉम्प क्रेडिटर्स समिति)।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) और नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) को आईबीसी मामलों का फैसला करते समय विधायिका द्वारा निर्धारित समय सीमा का सम्मान करना चाहिए।

निर्णय मे कहा गया कि, "न्यायिक देरी का कारण था कि पहले का दिवाला प्रणाली विफल हो गयी थी और हम वर्तमान दिवाला प्रणाली के साथ ऐसा नहीं होने दे सकते जो दिवाला और दिवालियापन संहिता के बाद अस्तित्व में आया। एक बार जब लेनदारों की समिति आईबीसी के तहत दबावग्रस्त संपत्तियों के लिए एक समाधान योजना प्रस्तुत करती है, तो इसे समाधान आवेदक द्वारा संशोधित या वापस नहीं लिया जा सकता है।"

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें


[IBC] CIRP has to be completed in 330 days; NCLT, NCLAT must comply with deadlines: Supreme Court

Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com