![[जहांगीरपुरी दंगे] सीजेआई एनवी रमना के समक्ष स्वत: संज्ञान, अदालत की निगरानी में जांच की मांग को लेकर पत्र याचिका दायर](http://media.assettype.com/barandbench-hindi%2F2022-04%2F1dfcd1ac-f444-4b22-bcd7-e0a3f8d01c93%2Fbarandbench_2022_04_660c8a87_c645_4df7_9a45_32286b6315b6_Jahangirpuri_communal_clash.avif?w=480&auto=format%2Ccompress&fit=max)
दिल्ली में जहांगीरपुरी दंगों का स्वत: संज्ञान लेने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना के समक्ष एक पत्र याचिका दायर की गई है।
एक वकील अमृतपाल सिंह खालसा की पत्र याचिका में शीर्ष अदालत से अपने "पत्रिका अधिकार क्षेत्र" का प्रयोग करने और दंगों की निष्पक्ष जांच करने के लिए शीर्ष अदालत के एक मौजूदा न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति का गठन करने का आग्रह किया गया है।
वकील ने आरोप लगाया है कि "दिल्ली पुलिस की अब तक की जांच आंशिक, सांप्रदायिक और दंगों के साजिशकर्ताओं को सीधे तौर पर बचाने वाली रही है।"
पत्र में कहा गया है कि 2020 के दंगों में दिल्ली पुलिस की भूमिका ने उन्हें कमजोर किया है और लोगों का उन पर विश्वास कमजोर किया है।
याचिका में कहा गया है, "इस अदालत ने 2020 में दंगों को रोकने में विफल रहने पर दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई।"
याचिका में कहा गया है कि यह दूसरी बार है जब राजधानी में दंगे भड़के हैं, और दोनों ही मौकों पर केवल "अल्पसंख्यक" समुदाय के सदस्यों को दोषी ठहराया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्टों पर भरोसा करते हुए पत्र याचिका में आरोप लगाया गया कि हनुमान जयंती शोभा यात्रा जुलूस में शामिल कुछ सशस्त्र सदस्यों ने मस्जिद में प्रवेश किया और भगवा झंडा लगाया, और इसके बाद दोनों समुदायों द्वारा पथराव किया गया।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें