दिल्ली की एक अदालत ने कांग्रेस के नेता जयराम रमेश के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही आज बंद कर दी क्योंकि उन्होंने द कारवां में प्रकाशित लेख ‘द डी कंपनीज’ को लेकर की गयी प्रेस कांफ्रेंस के संबंध में विवेक डोवाल माफी मांग ली।
जयराम रमेश आज राउज एवेन्यू अदालत परिसर में अतिरिक्त् मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट सचिन गुप्ता के समक्ष पेश हुये और कहा कि उन्होंने आवेश में आकर विवेक डोवाल के खिलाफ कई आरोप लगाये थे और उन्हें पहले इनका सत्यापन कर लेना चाहिए था।
रमेश ने कहा,
‘‘मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि द कारवां पत्रिका में एक दिन पहले प्रकाशित लेख से निकाले गये निष्कर्ष पर वे बयान या आरोप लगाये गये थे। यह मामला जैसे जैसे आगे बढ़ा, मैंने महसूस किया कि शायद पहले स्वतंत्र सत्यापन कर लेना बेहतर होता।’’
हालांकि, आम चुनाव नजदीक थे और आप और आपके परिवार के खिलाफ कतिपय कटाक्ष करने के लिये लेख में उठाये गये सवालों को उजागर करना उचित लगा था।
अत: मैं क्षमा चाहूंगा अगर आपको और आपके परिवार को इन बयानों से ठेस पहुंची। मैं काग्रेस पार्टी से भी अनुरोध करूंगा कि इस प्रेस कांफ्रेंस को अपनी वेबसाइट से हटा दें।’’
डोवाल ने यह क्षमा याचना स्वीकार कर ली।
विवेक डोवाल ने द डी कंपनीज शीर्षक से प्रकाशित लेख के बाद जयराम रमेश और द कारवां पत्रिका और पत्रकार कौशल श्राफ के खिलाफ मानहानि का मामला दायर किया था।
अदालत ने जनवरी, 2019 में डोवाल की आपराधिक मानहानि की शिकायत का संज्ञान लिया था। रमेश को मई, 2019 में जमानत मिल गयी थी।
इस लेख में आरोप लगाया गया था कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल के पुत्रों की कंपनियों का जाल है। नोटबंदी के दौरान काले धन को ठिकाने लगाने वाली इसमे केमैन आइलैंड भी शामिल है जबकि उनके पिता कर चोरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे थे।
डोवाल का कहना था कि इस लेख में उन्हें और उनके परिवार को नुकसान पहुंचाने के इरादे से ही इस तरह के आक्षेप लगाये गये थे। अदालत मे विवेक डोवाल ने दावा किया था कि इस लेख और जयराम रमेश के नेतृत्व में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस का मकसद डोवाल परिवार के खिलाफ दुराग्रहपूर्ण अभियान चलाना था।
द कारवां और कौशल श्राफ के खिलाफ मानहानि की कार्यवाही जारी रहेगी।
अदालत में डोवाल का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता डीपी सिंह नेकिया।
और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें
[BREAKING] Jairam Ramesh tenders apology to Vivek Doval; Delhi court closes defamation case