अंधेरी मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मंगलवार को कंगना रनौत द्वारा दायर एक आवेदन को खारिज कर दिया, जिसमें जावेद अख्तर की शिकायत पर शुरू की गई मानहानि की कार्यवाही में व्यक्तिगत उपस्थिति से स्थायी छूट की मांग की गई थी।
एडवोकेट रिजवान सिद्दीकी के माध्यम से दायर आवेदन में कहा गया है कि रनौत अपनी पेशेवर प्रतिबद्धताओं में व्यस्त थीं, जिससे उनके लिए सुनवाई में शामिल होना मुश्किल हो गया।
उसने बताया कि वह बॉलीवुड की शीर्ष अभिनेत्रियों में से एक थी और उसने राष्ट्रीय पुरस्कार सहित कई प्रतिष्ठित पुरस्कार जीते थे।
याचिका में दावा किया गया था कि अपनी कई प्रतिबद्धताओं के कारण उन्हें पेशेवर प्रतिबद्धताओं के लिए देश के कई हिस्सों और अंतरराष्ट्रीय स्थानों की यात्रा करनी पड़ती है।
उनके आवेदन में इस बात पर जोर दिया गया था कि नियमित आधार पर परीक्षण में भाग लेने के लिए उन्हें विभिन्न कार्यस्थलों से मुंबई तक मीलों की यात्रा करनी होगी, जिससे उनके निर्माताओं और खुद को अनुचित कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा। इस प्रकार, वह अपनी पेशेवर प्रतिबद्धताओं को पूरा नहीं कर पाएगी।
कंगना ने यह भी आश्वासन दिया कि उनकी गैर हाजिरी कार्यवाही के आड़े नहीं आएगी क्योंकि वह अपने वकील के माध्यम से पेश होंगी।
उसने यह भी कहा कि अगर उसकी अनुपस्थिति में सबूत दर्ज किए जाते हैं तो उसे कोई आपत्ति नहीं है।
अख्तर की ओर से पेश अधिवक्ता जय भारद्वाज ने आवेदन का विरोध करते हुए कहा कि मजिस्ट्रेट ने अब तक रनौत को 13 छूट दी हैं।
उन्होंने कहा कि अभियुक्त की व्यक्तिगत उपस्थिति को निर्देशित करने की शक्ति केवल मजिस्ट्रेट का विवेकाधिकार है और कार्यवाही के किसी भी चरण में किया जा सकता है।
उन्होंने आगे सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों पर भरोसा किया जो अभियुक्त की उपस्थिति को मजबूर करने के लिए मजिस्ट्रेट अदालतों को विवेक देते हैं।
उनका तर्क था कि आरोप तय करने और याचिका की रिकॉर्डिंग के लिए कंगना की मौजूदगी जरूरी होगी।
मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट आरआर खान ने आज दलीलें सुनने के बाद रनौत की अर्जी खारिज कर दी।
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