न्यायमूर्ति पीवी कुन्हीकृष्णन की एकल पीठ ने आज आदेश जारी किया।
कुंजू की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बी रमण पिल्लै ने शुक्रवार को न्यायालय में दलील दी थी कि मंत्री का इस परियोजना के दौरान किसी भी तरह की रिश्वत के मामले में कोइ भूमिका नही थी क्योंकि वह बतौर मंत्री कई अन्य कार्यक्रमों में सक्रिय रूप से व्यस्य थे।
पिल्लै ने दावा किया कि सारे जरूरी दस्तावेजों की जांच सचिव करते थे और इसके बाद ही वह उन पर हस्तक्षार करते थे। उन्होंने कहा कि किसी भी अवसर पर उनके संज्ञान में किसी प्रकार की विसंगति नही लाई गयी थी
दूसरी ओर, राज्य के अटार्नी ने पुरजोर तरीके से कहा था कि रिश्वत और अग्रिम भुगता के संबंध में विभाग को उनसे पूछताछ करनी है। उन्होंने स्वीकार किया कि दूसरे करार वाले कार्यो में परियोजनाओं के लिये अग्रिम भुगतान करने की परंपरा है जबकि पीडब्लूडी के काम के मामले में कानून के तहत यह प्रतिबंधित थी।
इस मामले की जांच के दौरान पूर्व मंत्री को इलाज के लिये जेल के कैदी के रूप में अस्पताल में रहने पर सहमति व्यक्त करते हुये उन्होंने न्यायालय ने अनुरोध किया कि कुंजू को जमानत नहीं दी जाये।
न्यायमूर्ति कुन्हीकृष्णन ने इब्राहिम कुंजू के वकील और सरकार के अटार्नी का पक्ष सुनने के बाद इस मामले में अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
पलारिवत्म फ्लाई ओवर राज्य की पूर्ववर्ती यूडीएफ सरकार की प्रिय परियोजना थी। इस फ्लाई ओवर को आवागमन के लिये असुरक्षित पाये जाने के बाद इसे लेकर विवाद हो गया और कुछ समय बाद ही इस परियोजना में रिश्वत के आरोपों की जांच शुरू हो गयी थी।
जांच प्राधिकारियों ने दलील दी कि पलारवत्तम फ्लाई ओवर का ठेका सबसे कम बोली लगाने वाले को नहीं दिया गया था जबकि ऐसा ही होता रहा है। इस परियोजना के लिये ठेकेदारों को अग्रिम राशि दिेये जाने का मुद्दा इसमें उठाया गया।
पूर्व मंत्री इब्राहिम कुंजू, जो इस परियोजना के पूरा होने के दौरान राज्य के पीडब्लूडी मंत्री थे, को भ्रष्टाचार के इस मामले में कथित रूप से संलिप्त होने के संदेह में सतर्कता विभाग ने पिछले महीने गिरफ्तार कर लिया था। सतर्कता विभाग ने इब्राहिम कुंजू पर इस परियोजना में रिश्वत के आरोप लगाते हुये दावा किया कि वह जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं
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