[लाइव रिपोर्टिंग याचिका] इलाहाबाद HC ने कार्यवाही को जनता के लिए सुलभ बनाने के लिए उठाए कदमो पर रजिस्ट्री से पूरा विवरण मांगा

अदालत दो पत्रकारो अरीब उद्दीन अहमद (बार & बेंच) और स्पर्श उपाध्याय (लाइव लॉ) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमे उच्च न्यायालय की कार्यवाही की लाइव रिपोर्टिंग की अनुमति की मांग की गयी
Allahabad High Court, Justice Pankaj Naqvi, Justice Jayant Banerji
Allahabad High Court, Justice Pankaj Naqvi, Justice Jayant Banerji
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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने स्वप्निल त्रिपाठी बनाम भारत संघ में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों के आलोक में अदालती कार्यवाही को जनता के लिए सुलभ बनाने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा उठाए गए कदमों पर बुधवार को अपने प्रशासनिक पक्ष से जवाब मांगा। (अरीब उद्दीन अहमद और अन्य बनाम इलाहाबाद उच्च न्यायालय)।

न्यायमूर्ति पंकज नकवी और न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी की खंडपीठ ने उच्च न्यायालय प्रशासन आशीष मिश्रा की ओर से पेश हुए स्थायी वकील को निर्देश दिया कि वे इस संबंध में क्या कदम उठाए गए हैं, इस बारे में पूरा निर्देश मांगें।

अदालत दो पत्रकारों, अरीब उद्दीन अहमद (बार और बेंच) और स्पर्श उपाध्याय (लाइव लॉ) द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उच्च न्यायालय की कार्यवाही की लाइव रिपोर्टिंग और स्ट्रीमिंग की अनुमति की मांग की गयी थी।

याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता शाश्वत आनंद पेश हुए।

याचिकाकर्ताओं और मीडिया कर्मियों के लिए चल रही COVID-19 महामारी की स्थिति के दौरान अदालती कार्यवाही तक सीमित पहुंच की पृष्ठभूमि में याचिका दायर की गई थी।

याचिका में कहा गया है कि , कोविड​​-19 युग से पहले भी, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अदालती कार्यवाही बड़े पैमाने पर जनता के लिए दुर्गम थी।

दलील ने प्रेस के मौलिक अधिकार का आह्वान किया जो कि आभासी या भौतिक सुनवाई तक पहुंच प्राप्त करने के लिए बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार का हिस्सा है।

याचिका में कहा गया है कि, उक्त अधिकार लोगों के न्याय जानने और प्राप्त करने के अधिकार और जनता की व्यापक गरिमा के लिए है।

याचिकाकर्ताओं ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाधीश (न्यायाधीशों) की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति और विशेषज्ञों के एक पैनल की नियुक्ति की भी मांग की, ताकि अदालती कार्यवाही की लाइव स्ट्रीमिंग के लिए उचित सिफारिशें प्रदान की जा सकें और मीडिया की आसान पहुंच की सुविधा मिल सके।

वैकल्पिक रूप से, उन्होंने आभासी सुनवाई में शामिल होने के लिए पत्रकारों या मीडियाकर्मियों के लिए मुफ्त पहुंच की मांग भी की है ताकि वकीलों, पार्टियों और न्यायाधीशों की टिप्पणियों की ट्विटर और अन्य प्लेटफार्मों पर लाइव रिपोर्ट की जा सके।

याचिका में यह भी कहा गया है कि पत्रकारों को अपनी आईडी या विशेष मीडिया पास दिखाकर अदालत कक्ष परिसर में शारीरिक रूप से प्रवेश करने की अनुमति दी जाए।

मामले की गुरुवार को फिर सुनवाई होगी।

इसी तरह के नोट पर, उन्हीं याचिकाकर्ताओं ने भी इसी तरह की राहत की मांग करते हुए मध्य प्रदेश (एमपी) उच्च न्यायालय का रुख किया था। मप्र हाईकोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री को नोटिस जारी कर मामले की अगली सुनवाई 9 जून को तय की है।

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