मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने आज हास्य अभिनेता मुनव्वर फारुकी द्वारा दायर की गई जमानत अर्जी को स्थगित कर दिया, क्योंकि पुलिस खंडपीठ के समक्ष केस डायरी प्रस्तुत करने में विफल रही। मामला अब एक सप्ताह के बाद सूचीबद्ध किया गया है (नलिन यादव बनाम मध्य प्रदेश राज्य)।
फारुकी को इस आरोप में गिरफ्तार किया गया था कि उसने हाल ही में एक स्टैंड-अप शो के दौरान हिंदू देवताओं के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी। इस आशय की एक शिकायत कथित तौर पर हिंदुत्व संगठन हिंद रक्षक संगठन के प्रमुख एकलव्य सिंह गौर ने दर्ज की थी।
शिकायत के बाद, पुलिस ने फारुकी और चार अन्य लोगों- नलिन यादव, एड्विन एंथोनी, प्रखर व्यास और प्रियम व्यास के खिलाफ प्रथम सूचना रिपोर्ट (एफआईआर) दर्ज की थी।
उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 295A (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने), धारा 298 (जानबूझकर धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) धारा 269 (बीमारी के कारण या फैलने में लापरवाही से काम करने की संभावना) और धारा 188 लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश देने की अवज्ञा करता है) सपठित धारा 34 (सामान्य अभिप्राय में कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) के तहत आरोप लगाए गए थे।
मध्य प्रदेश पुलिस द्वारा 1 जनवरी को धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में गिरफ्तार किए गए फारुकी ने 2 जनवरी को सत्र न्यायालय के समक्ष जमानत के लिए आवेदन किया था। दोनों पक्षों को सुनने के बाद, सत्र न्यायालय ने जमानत अर्जी को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि मामले की गंभीरता को देखते हुए जमानत के लिए कोई आधार नहीं हैं। इस आदेश के बाद, चारों को 13 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। इस आदेश को चुनौती देते हुए मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।
आज की सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति रोहित आर्य को पुलिस ने सूचित किया कि केस डायरी उनके पास उपलब्ध नहीं है। इस आलोक में, न्यायालय ने अपने आदेश में उल्लेख किया,
“वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मामले मे सुनवाई, केस डायरी उपलब्ध नहीं है। एक सप्ताह के बाद सूचीबद्द के निर्देश।”
यह मामला 22 जनवरी के लिए सूचीबद्ध किया गया है। अधिवक्ता अंकित धीगे फारुकी और अन्य आवेदकों के लिए पेश हुए। राज्य का प्रतिनिधित्व एडवोकेट कीर्ति पटवर्धन ने किया।
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