मप्र उच्च न्यायालय की इंदौर पीठ ने पूर्व आईपीएस अधिकारी मयंक जैन के खिलाफ मामला बंद करने की रिपोर्ट खारिज करने के निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी है।
इस पूर्व नौकरशाह को मप्र लोकायुक्त के छापे के दौरान उसके पास आय से अधिक सम्पत्ति मिलने के मामले में सेवानिवृत्त कर दिया गया था।
लोकायुक्त विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अपनी जांच के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि इस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही के लिये अपर्याप्त साक्ष्य हैं। निचली अदालत ने मामला बंद करने की रिपोर्ट अस्वीकार करते हुये अभियोजन को जैन के खिलाफ मुकदमा शुरू करने के लिये आवश्यक अनुमति प्राप्त करने का निर्देश दिया था।
जैन ने लोकायुक्त की मामला बंद करने की रिपोर्ट अस्वीकार करने के निचली अदालत के आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय में जैन की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने बहस करते हुये दलील दी कि मामला बंद करने की रिपोर्ट दाखिल किये जाने के बाद निचली अदालत अभियोजन को मुकदमा चलाने की स्वीकृति प्राप्त करने का आदेश नहीं दे सकता।
उन्होंने कहा कि निचली अदालत के समक्ष सिर्फ तीन विकल्प ही उपलब्ध हैं:
मामला बंद करने की रिपोर्ट स्वीकार की जाये
आगे जांच का आदेश दिया जाये
मामले को शिकायत प्रकरण माना जाये
शर्मा ने कहा कि इसकी बजाये अभियोजन को जैन पर मुकदमा चलाने के लिये आवश्यक स्वीकृति प्राप्त करने का निर्देश देना कानूनन संभव नहीं था। उन्होंने इस संबंध में संजयसिंह रामराव चव्हाण बनाम दत्तात्रेय गुलाबराव फाल्के और अन्य तथा वसंती दुबे बनाम मप्र के मामलों में उच्चतम न्यायालय के फैसलों का भी हवाला दिया।
अभियोजन ने निर्देश प्राप्त करने के लिये समय देने का अनुरोध किया लेकिन कहा कि निचली अदालत के आदेश के अनुरूप उसके पास मुकदमा चलाने की अनुमति देने के अलावा अन्य विकल्प नहीं है।
न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति शैलेन्द्र शुक्ला की पीठ ने मामले की सुनवाई की अगली तारीख तक निचली अदालत के आदेश पर रोक लगा दी और इसे 11 जनवरी, 2021 के लिये स्थगित कर दिया।
भारतीय पुलिस सेवा के 1995 केडर के अधिकारी मयंक जैन के यहां जब छापे के दौरान आय से ज्यादा संपत्ति बरामद की गयी थी तो उस समय वह भोपाल में महानिरीक्षक (सामुदायिक पुलिसिंग) के पद पर तैनात थे।
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