सीबीआई के कब्जे से 103 किग्रा. से ज्यादा सोना गायब, मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस जांच का आदेश दिया

न्यायालय ने कहा, ‘‘कुछ ग्राम का अंतर समझ में आता है लेकिन न्यायालय यह समझने में असमर्थ है कि सोने के वजह से 100 किलोग्राम से ज्यादा का अंतर कैसे हो सकता है’’
Justice PN Prakash, Madras High Court
Justice PN Prakash, Madras High Court

मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु की सीबी सीआईडी को केन्द्रीय जांच ब्यूरो की सुपुर्दारी से 103.84 किग्रा सोना गायब होने की घटना की जांच का आदेश दिया। न्यायालय ने इस मामले की जांच राज्य पुलिस को सौंपने की जांच एजेन्सी की आपत्ति ठुकरा दी।

न्यायमूर्ति पीएन प्रकाश ने अपने फैसले में टिप्पणी की,

‘‘माननीय विशेष लोक अभियोजक ने दलील दी कि अगर इसकी जांच स्थानीय पुलिस करेगी तो इससे सीबीआई की प्रतिष्ठा गिरेगी। यह न्यायालय इस विचार से सहमत नहीं है क्योंकि कानून इस तरह का निष्कर्ष निकालने की अनुमति नहीं देता है। सभी पुलिसकमियो पर भरोसा करना होगा और यह यह झूठ अच्छा नहीं लगता कि सीबीआई की विशेष सींगें हैं और स्थानीय पुलिस के पास सिर्फ पूंछ है।’’

सीबीआई ने 2012 में सुराना कार्पोरेशन लिमिटेड (सुराना) के यहां छापेमारी के बाद दावा किया था कि उसने गैरकानूनी तरीके से आयातित 400.47 किग्रा सोना जब्त किया है। हालांकि, सीबीआई ने जब सुराना के खिलाफ आपराधिक मामला बंद किया तो सीबीआई के कब्जे में सिर्फ 296.606 किग्रा. सोना ही मिला।

बताया गया कि यह सोना सुराना की तिजोरी में सील लगाकर रखा गया था। सीबीआई ने 2012 में गवाहों की मौजूदगी में की गयी छापेमरी के बाद इस पर सील लगाई थी। उच्च न्यायालय को बताया गया कि तिजोरी की चाबियां विशेष सीबीआई अदालत को सौंप दी गयी थीं,हालांकि जांच एजेन्सी यह नहीं बता सकी कि ये चाबियां कब सौंपी गयी थीं।

सीबीआई ने दलील दी कि जब्त सामान का लेखा जोखा करते समय सोने की मात्रा दर्ज करने में गलती हो गयी थी। जांच ब्यूरो की इस सफाई से न्यायालय संतुष्ट नहीं था, उसने कहा,

‘‘अगर यह अंतर कुछ ग्राम का होता तो समझ में आ सकता था, लेकिन, न्यायालय से समझने में असमर्थ कि 100 किग्राम से ज्यादा सोने के वजह में अंतर कैसे हो जायेगा। सोने का वजन गांजे की तरह समय के साथ कम नही होगा। दुर्भाग्य से, ऐसा लगता है कि सोने के इस अभियान के सारे पक्षकार इस स्वर्णिम सवाल का जवाब टाल रहे हैं कि वास्तव में कथित 103.864 किग्रा सोना कहां था।’’

न्यायालय ने इसकी सीबी सीआईडी जांच का आदेश देते हुये कहा,

‘‘ यह सीबीआई की अग्नि परीक्षा हो सकती है लेकिन यह मददगार नहीं हो सकती। अगर वह सीता की तरह पाक साफ होंगे, तो वे ज्यादा खरे होकर बाहर आयेंगे।, अगर नहीं, तो उन्हें इनका खामियाजा भुगतना होगा। पंचनामे में दर्ज वजन को हल्के में नहीं लिया जा सकता, विशेषकर इस तरह का मामला जिसमे अंतर कुछ ग्राम का नहीं बल्कि एक लाख ग्राम का है। यह ध्यान रहे, एनडीपीएस कानून के मामलों में प्रतिबंधित पदार्थ का बजन ही सजा की मात्रा निर्धारित करता है।’’

सोने के पीछे और भी है

सीबीआई और सुराना के अलावा, इस मामले की शामिल पक्षकारों में भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाला बैंकों का कंसोर्टियम, सुराना पर जिसका धन बकाया है, सी रामासु्रण्मणियम, सहारा द्वारा कार्पोरेट दिवालिया कार्यवाही का सहारा लिये जाने के बाद नियुक्त परिसमापक और वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय भी हैं।

इस मामले में सीबीआई ने 2012 और 2013 में दो प्राथमिकी दर्ज कीं, पहली फाइल से कागजों पर जब्त किये गये सोने का दूसरी प्राथमिकी में हस्तांतरण और दोनों मामले बंद करने की रिपोर्ट।

सुराना के खिलाफ मामला बंद करने की रिपोर्ट स्वीकार करने के बाद विशेष अदालत ने निर्देश दिया कि यह सोना (कागजों पर) विदेश व्यापार महानिदेशक को हस्तांतरित कर दिया जाये। सुराना ने उच्च न्यायालय में इसे चुनौती दी थी जिसने उसके पक्ष में आदेश दिया। तद्नुसार, विशेष अदालत ने जब्त किया गया सोना लौटाने के आवेदन पर सुराना को नोटिस जारी किया था।

इस बीच, सुराना से बकाया रकम की वसूली के लिये बैकों ने विशेष अदालत में आवेदन दायर कर जब्त किया गया सोना उन्हें लौटाने का अनुरोध किया। सुराना और बैंकों में इस बात पर सहमति हुयी कि सोना बैंकों को सौंपदियाजायेगा। विशेष अदालत ने 2017 में इस संयुक्त राजीनामे को स्वीकारकर लिया।

अथवा, न्यायमूर्ति प्रकाश ने जिस मनमौजी तरीके से अपने आदेश में इसे व्यक्त किया है,

‘‘ इन सभी ने, हालीवुड की ब्लॉकबस्टर, ‘मैकेन्ज गोल्ड’ में स्व उमर शरीफ द्वारा अभिनीत चर्चित कोलोराडो की भूमिका में सोने की तलाश के अभियान में विशेष अदालत पहुंचे। कोलोराडो की तरह ही मोंकी, गुंडे, के साथ सोना बांटने का समझौता किया, स्टेट बैंक और सुराना में समझौता हुआ और क्रिमिनल एमपी संख्या 5916/2015 में विशेष अदालत में संयुक्त समझौता पत्र दाखिल करके अदालत से अनुरोध किया गया कि 400.47 किग्रा सोना बैंकों की बकाया राशि के निबटारे के लिये स्टेट बैक को सौंप दिया जाये।’’

अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी)/ सुराना के परिसमापक सी. रामासुब्रमणियम ने भी एनसीएलटी में आवेदन करके अनुरोध किया कि सीबीआई को यह सोना बैंकों को सौंपने का निर्देश दिया जाये।

इस बीच, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, वे भी सोने की इस दौड़ में पीछे नहीं रहना चाहते थे, भी इस मामले में कूद पड़े ओर उन्होंने उच्च न्यायालय में आवेदन दायर करके यह सोना उन्हें सौंपने का अनुरोध किया। हालांकि, एनसीएलटी ने उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया। एनसीएलटी ने यह सोना बैंक अधिकारियों की मौजूदगी मे परिसमापक को सौंपने का आदेश दिया।

इस कहानी में उस समय अरपेक्षित मोड़ आ गया जब सीबीआई, बैंक और सुराना जब्त किया गया 400.47 किग्रा सोना सुराना की तिजोरियों में दुबारा जांचने गये जो अब सिर्फ 296.606 किग्रा ही निकला। सीबीआई 103.864 किग्रा सोना कम होने के बारे में कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सकी तो आईआरपी ने उच्च न्यायालय में आवेदन दायर कर सीबीआई को कथित रूप से गायब सोना उसे सौंपने का निर्देश देने का अनुरोध किया।

सीबीआई ने कहा कि सोने की मापतौल सुराना के यहां इस्तेमाल हुयी मशीन से की गयी थी और इसे गवाहों की मौजूदी में सील किया गया था और तिजारियों की 72 चाबियां विशेष अदालत को सौंपी गयी थीं और फरवरी में दो बार इसका निरीक्षण किया गया था ओर इसमें किसी प्रकार की कमी के लिये वह जिम्मेदार नहीं है।

न्यायालय ने यह दर्ज किया कि सीबीआई का कहना है कि जब्त किया गया सोना वास्तव में 296.606 किग्रा थी और इसके वजन के बारे में गलत प्रविष्ठि हो गयी थी। जांच एजेन्सी ने यह भी कहा कि इसकी आंतरिक जांच की जा रही है।

आईआरपी और बैक अपने इस दावे पर एकसाथ कायम रहे कि दस्तावेजों में स्पष्ट रूप से दर्ज है कि सीबीआई ने 400.47 किग्रा सोना जब्त किया था।

इस पर न्यायालय ने अब सीबीसीआईडी को इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने की तारीख से छह महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया। न्यायाधीश ने कहा कि जांच के नतीजों से चेन्नै के संबंधित मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत को अवगत कराया जायेगा और इसकी एक प्रति परिसमापाक को सौंपी जायेगी।

और अधिक पढ़ने के लिए नीचे दिये गए लिंक पर क्लिक करें

Over 103 kgs of Gold go missing from CBI custody: Madras High Court orders Police inquiry

Related Stories

No stories found.
Hindi Bar & Bench
hindi.barandbench.com