(ब्रेकिंग) मद्रास HC ने बार काउंसिल से कहा:वकीलो को हड़ताल के दौरान कोट, गाउन और गले में बैंड नहीं पहनने का निर्देश दिया जाये

न्यायालय ने टिप्पणी की कि वकीलों का गाउन, जिसे सिर्फ अदालत परिसर में ही पहना जा सकता है, का लाभ सड़कों पर वकीलों की हड़ताल में हिस्सा लेने के दौरान नहीं लिया जा सकता।
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मद्रास उच्च न्यायालय ने बुधवार को अपने अंतरिम आदेश में कहा कि हड़ताल और प्रदर्शनों में शामिल होते समय वकील वकीलों का काला गाउन/कोट और गले का बैंड नहीं पहन सकते।

मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति एन किरुभाकरण और न्यायमूर्ति बी पुगलेंधी की पीठ ने आज यह आदेश पारित करते हुये टिप्पणी की वकीलों का गाउन, जिसे सिर्फ अदालत परिसर में ही पहना जा सकता है, का लाभ सड़कों पर वकीलों की हड़ताल में हिस्सा लेने के दौरान नहीं लिया जा सकता।

न्यायालय ने कहा कि इसलिए बार काउंसिल आफ तमिलनाडु और पुडुचेरी को निर्देश दिया जाता है कि वह वकीलों को निर्देश दे कि विरोध प्रदर्शन के दौरान वे काला गाउन और गले का बैंड नहीं पहनें।

न्यायालय ने अधिवक्ता बी रामकुमार आदित्यन की याचिका पर यह अंतरिम आदेश दिया। इस याचिका मे यह सुनिश्चित करने का अनुरोध किया था कि अदालत की कार्यवाही के दौरान वकील ड्रेस कोड का पालन करें और हड़ताल, बहिष्कार और आन्दोलनों के दौरान वकीलों का गाउन पहनने और गले का बैंड बांधने से रोका जाये।

याचिकाकर्ता ने दलील दी थी कि एक ओर कुछ वकील अपने ही ड्रेस कोड का इस्तेमाल करते है और अदालत की कार्यवाही के दौरान उचित ड्रेस कोड में पेश नहीं होते हैं।

याचिका में कहा गया है, ‘‘यहां तक कि अधीनस्थ अदालतों में कुछ महिला लोक अभियोजक भी उचित ड्रेस में अदालत में उपस्थित नहीं होती है जो एक गलत धारणा बनाता है और कानून की गरिमा कम करता है।’’

याचिका में कहा गया, ‘‘ ड्रेस कोड गरिमा, सम्मान, विवेक और न्याय का प्रतीक है और प्रत्येक अधिवक्ता को इन मूल्यों को बना कर रखना है। प्रत्येक अधिवक्ता को इस पेशे की गरिमा और सम्मान को बनाये रखना है। आप ‘टी’ शर्ट और ‘जीन’ पहन कर न्याय के मंदिर, अदालत, में नहीं आ सकते।’’

याचिकाकर्ता ने कहा कि इस संबंध में बार काउंसिल आफ तमिलनाडु एंड पुडुचेरी को पिछले कई सालों में अनेक प्रतिवेदन दिये जा चुके हैं।

याचिका में यह भी कहा गया कि इसी तरह, हड़ताल, अदालतों के बहिष्कार और सड़कों पर आन्दोलन के दौरान वकीलों के अपने गाउन और गले में बैंड पहने रहना अधिवक्ता कानून, 1961 के तहत उनके दायित्वों के खिलाफ है। याचिकाकर्ता ने दलील दी कि इसे सख्ती से रोका जाना चाहिए।

याचिकाकर्ता ने इन तथ्यों के मद्देनजर मद्रास उच्च न्यायालय से बार काउंसिल आफ इंडिया और राज्य बार काउंसिल को यह सुनिश्चित करने के लिये निर्देश देने का अनुरोध किया था कि

  • सभी अधिवक्ता अदालत की कार्यवाही के दौरान सही तरीके से ड्रेस कोड का पालन करेंगे और

  • वकील हड़ताल, बहिष्कार और आन्दोलन के दौरान गाउन और गले का बैंड नहीं पहनेंगे।

याचिकाकर्ता की ओर से आज अधिवक्ता ए श्रीकृष्णन पेश हुये। यह याचिका अधिवक्ता जी सुरेश कुमार के माध्यम से दायर की गयी थी। न्यायालय ने इस मामले में नोटिस जारी किया है।

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[Breaking] Madras High Court tells Bar Council to direct Lawyers not to wear Advocate's black coat, gown, neckband during strikes

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