महाकालेश्वर मंदिर: उच्चतम न्यायालय ने शिवलिंगम की संरक्षण के निर्देश दिये, विशेषज्ञ समिति सुझाव देगी

पिछले साल गठित विशेषज्ञ समिति ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि शिवलिंगम में क्षरण एक सतत प्रक्रिया है
Mahakaleshwar temple
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उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को निर्देश दिया कि एक विशेषज्ञ समिति उज्जैन में महाकालेश्वर मंदिर का करके मंदिर में शिवलिंगम को हो रहे क्षरण की रोकथाम के लिये आवश्यक उपायों के बारे में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

न्यायालय ने कहा कि समिति चंद्रनागेश्वर मंदिर सहित मंदिर के ढांचे के संरक्षण के लिये भी सुझाव देगी और वह 15 दिसंबर, 2020 तक अपनी रिपोर्ट पेश करेगी। [सारिका बनाम प्रशासक, महाकालेश्वर मंदिर समिति, उज्जैन (मप्र) & अन्य]

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी की पीठ ने पिछले साल जनवरी में गठित विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट, मंदिर समिति की रिपोर्ट और उज्जैन स्मार्ट सिटी लि द्वारा तैयार परियोजना रिपोर्ट के आधार पर निर्देश जारी किये।

उज्जैन स्थिति महाकालेश्वर मंदिर के शिवलिंगम में हो रहे क्षरण की रोकथाम के लिये पुरातत्व विभाग और भूवैज्ञानिको की विशेषज्ञ समिति गठित की गयी थी।

समिति ने पिछले साल 19 जनवरी को उज्जैन का दौरा करके अपनी रिपोर्ट दी थी जिसमे कहा गया था कि पिछले दौरे के बाद शिवलिंगम में क्षरण हुआ है और यह एक सतत चल रही प्रक्रिया है।

शीर्ष अदालत ने शिवलिंग के संरक्षण के लिये निर्देश दिये कि:

  1. किसी भी श्रृद्धालु को शिवलिंगम को मलना नहीं चाहिए

  2. मंदिर समिति को यह सुनिश्चित करे ‘भस्म आरती’ के दौरान भस्म की पीएच गुणवत्ता में सुधार किया जाये और शिवलिंगम को क्षतिग्रस्त होने से बचाया जाये तथा इसमें और क्षरण रोकने के लिये सर्वोत्तम तरीके लागू किये जायें।

  3. मंदिर समिति सुनिश्चित करे कि शिवलिंगम के संरक्षण के लिये मुण्ड माला और सर्पकर्णहाल का वजन और कम किया जाये ताकि इससे होने वाले घर्षण से शिवलिंगम को बचाया जा सके। समिति यह भी विचार करे कि क्या इनका प्रयोग करना आवश्यक है या फिर ऐसा कोई उपाय हो सकता है कि शिवलिंगम को संपर्क किये बगैर इसका प्रयोग किया जाये।

  4. शिवलिंगम पर श्रृद्धालुओं द्वारा दही, घी और शहद आदि मलने की वजह से भी क्षरण होता है और समिति द्वारा थोड़ी मात्रा में जल अर्पित करने की अनुमति है। मंदिर की ओर से आयोजित होने वाली पारंपरिक पूजा में सिर्फ शुद्ध सामग्री का उपयोग किया जाये।

  5. पुजारी, जनेऊपति, खुतपति,पुरोहित और उनके अधिकृत प्रतिनिधि सख्ती से यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई भी आगंतुक या श्रद्धालु किसी भी स्थिति में शिवलिंगम से हाथ नहीं रगड़े। यदि कोई श्रृद्धालु ऐसा करता है तो उसके साथ चल रहे पुजारी या पुरोहित को जिम्मेदार ठहराया जायेगा। मंदिर की ओर से आयोजित पारंपरिक पूजा और अर्चना के अलावा कोई भी शिवलिंगम को नहीं रगड़ेगा।

  6. गर्भ गृह में होने वाली पूजा और अर्चना की सारी कार्यवाही की 24 घंटे वीडियो रिकार्डिंग होगी और इसे कम से कम छह महीने सुरक्षित रखा जायेगा। यदि किसी भी पुजारी द्वारा किसी प्रकार उल्लंघन करने का पता चलता है तो मंदिर समिति उनके खिलाफ उचित कार्रवाई ले सकती है।

  7. मंदिर समिति की ओर से हुयी सहमति के आधार पर कोई भी श्रृद्धालु शिवलिंगम पर पंचामृत नहीं चढ़ायेगा और यह व्यवस्था की जाये कि शिवलिंगम पर कोई भी अशुद्ध या मिलावटी दूध नहीं चढ़ाया जाये।

  8. मंदिर समिति अर्पण करने के लिये आगंतुकों और श्रृद्धालुओं को अपने संसाधनों से शुद्ध दूध उपलबध करायेगी और इसके लिये बंदोबस्त करेगी और यह सुनिश्चित करेगी कि मिलावटी दूध शिवलिंगम पर नहीं चढ़ाया जाये।

इसके अलावा, उच्चतम न्यायालय ने निम्न निर्देश भी दिये हैं:

  • विशेषज्ञ समिति साल में एक बार सर्वे करके अपनी रिपोर्ट न्यायालय को देगी।

  • मंदिर समिति कोटि तीर्थ कुण्ड से फिल्टर और शुद्ध किया गया जल उपलब्ध करायेगी और पीएच गुणवत्ता का ध्यान रखेगी।

  • केन्द्रीय भवन अनुसंधान संस्थान, रूढ़की, अगर जरूरी हुआ, मंदिर का दौरा करेगी और इसकी संरचना की मजबूती के बारे में अपनी परियोजना रिपोर्ट छह महीने के भीतर देगी। इसके लिये 41.30 लाख रूपए की उसे आवश्यकता है। यह धनराशि केन्द्र सरकार यथाशीघ्र उपलब्ध करायेगी।

  • उज्जैन स्मार्ट सिटी लि. महाकाल रूद्राक्ष समेकित विकास संपक (प्रथम और द्वितीय चरण) तत्काल अपने हाथ में लेगा और छह सप्ताह के भीतर अपनी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट पेश करेगा।

  • आवश्यक मरम्मत, रखरखाव और सुधार के बारे में तत्काल आवश्यक विवरण तैयार किया जाये। कलेक्टर इस बारे में अधिशासी अभियंता और उपलबध वास्तुकार की मदद से विस्तृत योजना तैयार करेंगे।

  • राज्य सरकार इसके लिये तत्काल धन मंजूर करेगी। यही नहीं चार सप्ताह के भीतर उचित योजना तैयार करके इसकी मरम्मत और रखरखाव का काम शुरू किया जाये।

  • मंदिर में जोड़े गये आधुनिक हिस्से विशेषज्ञ समिति की सिफारिश के अनुरूप हटाये जायें और मंदिर समिति इस बारे में अपनी अनुपालन रिपोर्ट 15 दिसंबर, 2020 तक दाखिल करेगी।

  • मंदिर के मूल स्वरूप को बहाल करना होगा। आंखों को खटक रही चित्रकारियों का 15 दिसंबर, 2020 तक पुनरोद्धार करना होगा। मंदिर समिति सुनिश्चित करेगी कि भविष्य में किसी भी इस तरह की चित्रकारी करने और इसके मूल काम को तब्दील नहीं किया जायें

  • उज्जैन के कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सुनिश्चित करेगी कि मंदिर परिसर के 500 मीटर के दायरे से अतिक्रमण हटाया जाये।

चंद्रनागेश्वर मंदिर के संरक्षण और रखरखाव के बारे में विस्तृत योजना तैयार करके उस पर अमल किया जाये और इसकी रिपोर्ट न्यायालय को दी जाये।

न्यायालय ने इस मामले को आगे अवलोकन और अनुपालन रिपोर्ट पर विचार के लिये जनवरी, 2021 के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध किया है।

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Mahakaleshwar Temple: Supreme Court issues directions for preservation of Shivalingam; Expert Committee to suggest steps

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