महाराष्ट्र सरकार का बंबई उच्च न्यायालय में दावा: ‘समुदाय विशेष को निशाना बनाना’ सुनैना होले की सामान्य आदत

उच्च न्यायालय में सुनैना होले की याचिका का विरोध करते हुये महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि वह एक ‘पेशेवर ट्विटर’ जिसका एक समुदाय विशेष के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करना सामान्य आदत’ है।
Bombay High Court, Sunaina Holey
Bombay High Court, Sunaina Holey

महाराष्ट्र सरकार ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय में कहा, ‘‘ सुनैना होले ‘‘एक पेशेवर ट्विटर है’’ जिसने अपने ट्विट्स के जरिये एक समुदाय विशेष के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां करने का अपनी सामान्य आदत को दर्शाया है।’’

हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि उसके समक्ष मामला एक प्राथमिकी विशेष के बारे में है और इस पर प्राथमिकी में लगे आरोपों के आधार पर ही विचार करना होगा न कि होले द्वारा किये गये आम ट्विट्स पर।

न्यायालय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और कैबिनेट मंत्री आदित्य ठाकरे के बारे में किये गये ट्विट्स और दो समुदायों के बीच कथित रूप से वैमनस्य बढ़ाने वाला एक वीडियो ट्विट करने के मामले में सुनैना होले के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियों पर सवाल उठाने वाली याचिका पर सुनवाई कर रहा था।

राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनोज मोहिते ने होले की याचिका का विरोध किया।

न्यायमूर्ति एसएस शिन्दे और न्यायमूर्ति एमएस कार्णिक की पीठ के समक्ष उन्होंने कहा कि इंटरनेट पर विभिन्न समुदायों के बीच कटुता पैदा करने के अपराध को भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए के तहत सामान्य अपराध से इतर देखना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘जब इंटरनेट पर अपराध किया जाता है तो उसकी पहुंच हैदराबाद में कश्मीर में सेना को लेकर सड़क पर दो व्यक्तियों या कुछ व्यक्तियों के चीखने चिल्लाने से कहीं ज्यादा होती है।’’

मोहिते ने होले को फालो करने वाले कुछ लोगों द्वारा किये गये कुछ ट्विट्स की ओर न्यायालय का ध्यान आकर्षित करते हुये कहा कि यह लोगों की सामान्य आदत है।

उन्होंने कुछ टविट्स पढ़े भी जिन्हें कोरोनावायरस के पसार के लिये तबलीगी जमात समुदाय को जोड़ने का प्रयास किया गया था।

न्यायालय ने इस पर मोहित से कहा कि वह प्राथमिकी में लगाये गये आरोपों के संदर्भ में याचिका का विरोध करते हुये दलीलें पेश करें।

न्यायमूर्ति कार्णिक ने टिप्पणी की, ‘‘आपने जो दूसरे ट्विटस पढें वे आदत की ओर इशारा कर सकते हैं। इस बिन्दु तक आप सही है। लेकिन जब आप प्राथमिकी पर विचार करते हैं और गाली गलौज वाली भाषा के इस्तेमाल के बारे में आपकी दलील हम स्वीकार नहीं कर सकते।’’

न्यायमूर्ति शिन्दे ने कहा कि उन्हें इस मामले को दर्ज प्राथमिकी के संदर्भ में ही विचार करना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘ हमें आरोपों की सूची के बारे में प्राथमिकी पर गौर करना होगा। हमें इस पर प्राथमिकी के संदर्भ में विचार करना होगा इसे ध्यान में रखते हुये ही हमें इस मामले पर विचार करना होगा। अंतत: यह प्राथमिकी के लगे आरोपों पर ही पहुंचेगा।’’

मोहिते ने दलील दी कि होले उन चुनिन्दा ट्विटर अकाउन्टधारकों में हैं जिनके 35,000 से ज्यादा फालोअर हैं। होले के फालोअरों की संख्या को देखते हुये माना जाता है कि जनता की राय बनाने में उनका काफी भूमिका रहती है।

उन्होंने कहा कि होले ने कोविड-19 महामारी की वजह से लॉकडाउन लागू किये जाने और इस वजह से सब कुछ अस्त व्यस्त होने के दौरान ये ट्विट किये थे।

उन्होंने कहा, ‘‘ फरवरी में जब लोकडाउन लागू किया गया तो सब कुछ अस्त व्यस्त था और अफवाहें फैल रहीं थीं। अप्रैल में यह गलत जानकारी फैलाई गयी कि खाना वितरित किया जा रहा है और ट्रेनें भी हैं। स्थिति बिगड़ गयी और इससे अशांति पैदा हो गयी। उन दिनों सांप्रदायिक सद्भाव एक मुद्दा था और इसीलिये धारा 153ए लगायी गयी।’’

मोहिते का यह तर्क था कि इन हालात में पुलिस सोशल मीडिया पर निगाह रखते हुये स्थिति नियंत्रित करने का प्रयास कर रही थी। उसी दौरान शिकायतकर्ता की नजर होले के ट्विट पर पड़ी,उन्हें सार्वजनिक अशांति भड़कने का आशंका हुयी और इसीलिए टवि्ट पोस्ट किये जाने के 24 घंटे के भीतर ही प्राथमिकी दर्ज की गयी।

इस मामले में अब क्रिसमस के अवकाश के बाद 4 जनवरी, 2021 को सुनवाई होगी।

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Sunaina Holey has "general tendency to vilify particular community": Maharashtra government to Bombay High Court

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